इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 558 सहायता प्राप्त मदरसों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों को लेकर आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा की जा रही जांच पर रोक लगा दी है। यह जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के निर्देशों पर शुरू की गई थी।
यह कार्रवाई मोहम्मद तल्हा अंसारी नामक व्यक्ति की शिकायत पर हुई थी, जिसमें मदरसों पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। शिकायत के आधार पर एनएचआरसी ने 28 फरवरी, 23 अप्रैल और 11 जून को आदेश जारी किए थे, जिसके बाद राज्य सरकार ने 23 अप्रैल को जांच के लिए आदेश पारित किया।
मदरसों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर एनएचआरसी के आदेशों और राज्य सरकार की कार्रवाई को चुनौती दी। याचिका में कहा गया कि मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 में आयोग के कार्यक्षेत्र को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, वहीं धारा 36(2) के तहत आयोग एक वर्ष से अधिक पुराने मामलों की जांच नहीं कर सकता।

यह भी तर्क दिया गया कि धारा 12-ए के तहत आयोग केवल स्वतः संज्ञान लेकर, पीड़ित की याचिका पर, या किसी न्यायालय के आदेश पर ही जांच शुरू कर सकता है। वर्तमान मामले में इनमें से कोई भी शर्त पूरी नहीं होती। याचिका में यह भी कहा गया कि शिकायत में कथित मानवाधिकार उल्लंघन की तारीख का उल्लेख ही नहीं है, जिससे यह तय करना असंभव है कि शिकायत एक वर्ष की अवधि के भीतर दर्ज की गई थी या नहीं।
न्यायमूर्ति सराल श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार राय की खंडपीठ ने दलीलें सुनने के बाद एनएचआरसी और राज्य सरकार के आदेशों पर अंतरिम रोक लगाई। अदालत ने एनएचआरसी और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मामले की अगली सुनवाई 17 नवम्बर को होगी। इस बीच ईओडब्ल्यू की जांच स्थगित रहेगी।