कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले के बेलडांगा में प्रस्तावित उस मस्जिद के निर्माण में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया, जिसके बारे में निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने दावा किया है कि वह अयोध्या की बाबरी मस्जिद के मॉडल पर बनाई जाएगी।
यह आदेश उस समय आया है जब 6 दिसंबर को प्रस्तावित ‘बाबरी मस्जिद’ की आधारशिला रखने का कार्यक्रम निर्धारित है। 6 दिसंबर वही तारीख है जब 1992 में अयोध्या स्थित बाबरी ढांचे का विध्वंस हुआ था।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पॉल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें इस कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिका में आशंका जताई गई कि समारोह से क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव प्रभावित हो सकता है।
सुनवाई के बाद अदालत ने इस कार्यक्रम को रोकने से इनकार कर दिया और स्पष्ट किया कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पश्चिम बंगाल सरकार की होगी।
याचिका में आरोप लगाया गया कि विधायक कबीर ने सोशल मीडिया और यूट्यूब प्लेटफ़ॉर्म्स पर “आपत्तिजनक और भड़काऊ” टिप्पणियां की हैं, जो सार्वजनिक शांति और सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकती हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि द्वारा ऐसी टिप्पणियां “राज्य और देश में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाली” हो सकती हैं और अदालत को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।
टीएमसी ने गुरुवार को कबीर को “सांप्रदायिक राजनीति” में लिप्त होने के आरोप में निलंबित कर दिया था। निलंबन के बाद कबीर ने घोषणा की कि वह विधायक पद से इस्तीफा देंगे और इस महीने के अंत में अपनी नई राजनीतिक पार्टी लॉन्च करेंगे।
अदालत ने समारोह पर कोई रोक नहीं लगाई, लेकिन कहा कि प्रतीकात्मक तिथियों और राजनीतिक तनाव के बीच शांति सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी।

