पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर चल रहे विवादों के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) को निर्देश दिया है कि वह उन सभी उम्मीदवारों की सूची अदालत के समक्ष पेश करे, जिन्हें 2016 की भर्ती प्रक्रिया के तहत पैनल की वैधता समाप्त होने के बाद नियुक्त किया गया था।
यह निर्देश जस्टिस अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने राज्य द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए 2025 के नए भर्ती नियमों को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
कानूनी मुद्दा और पृष्ठभूमि
अदालत के सामने मुख्य रूप से दो मुद्दे हैं जो आपस में जुड़े हुए हैं। पहला, याचिकाकर्ताओं ने 2025 के नए भर्ती नियमों को चुनौती दी है, जिसके तहत कक्षा 9-10 और 11-12 के लिए चयन प्रक्रिया चल रही है। दूसरा, 2016 की स्कूल स्तरीय चयन परीक्षा (SLST) में हुई कथित अनियमितताओं का मुद्दा है, जिसमें आरोप है कि भर्ती पैनल की कानूनी अवधि 2018 और 2019 में समाप्त होने के बावजूद अवैध रूप से नियुक्तियां की गईं।
मामले की पृष्ठभूमि 2016 की SLST सहायक शिक्षक भर्ती से जुड़ी है। रिकॉर्ड के अनुसार:
- कक्षा 11-12 के लिए भर्ती पैनल नवंबर 2018 में समाप्त हो गया था।
- कक्षा 9-10 के लिए पैनल मार्च 2019 में समाप्त हो गया था।
इन स्पष्ट समय-सीमाओं के बावजूद, याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि आयोग ने इन तिथियों के बाद भी नियुक्तियों के लिए सिफारिशें करना जारी रखा।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें
याचिकाकर्ताओं के एक वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता बिकास भट्टाचार्य ने अदालत से प्रार्थना की कि चल रही चयन प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज में विश्वास जगाने के लिए चयन प्रक्रिया “संदेह से परे” होनी चाहिए, खासकर SSC भर्ती से जुड़े पुराने मुकदमों के इतिहास को देखते हुए।
वहीं, नए उम्मीदवारों (Freshers) की ओर से एक अन्य याचिका में 2025 के नियमों के उस प्रावधान को चुनौती दी गई है, जिसमें पूर्व शिक्षण अनुभव के लिए दस अंक (10 marks) देने की बात कही गई है।
नए उम्मीदवारों का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता बिलवादल भट्टाचार्य ने तर्क दिया कि अनुभव के लिए अतिरिक्त अंक देना नए अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव है। उन्होंने दलील दी कि यह प्रावधान सीधे तौर पर संविधान के अनुच्छेद 14 में वर्णित समानता के सिद्धांत पर चोट करता है, क्योंकि यह सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान करने से रोकता है।
सुनवाई के दौरान यह भी बात सामने आई कि SSC उन उम्मीदवारों की सूची पेश करने में विफल रहा है जिन्हें कथित तौर पर पैनल की समय-सीमा समाप्त होने के बाद 2016 की प्रक्रिया से नौकरी दी गई थी।
हाईकोर्ट का निर्देश
दलीलों को सुनने के बाद, जस्टिस अमृता सिन्हा ने 2016 SLST नियुक्तियों के संबंध में कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग को निर्देश दिया कि वह उन उम्मीदवारों की सूची पेश करे जिन्हें पैनल की समाप्ति (Expiry of Panel) के बाद पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्ति दी गई थी।
यह आदेश उन आरोपों की सच्चाई सामने लाने के उद्देश्य से दिया गया है कि मार्च 2019 और नवंबर 2018 में पैनल समाप्त होने के काफी बाद भी कक्षा 9-10 और 11-12 के लिए नियुक्तियां की गई थीं।
कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर तय की है, जहां SSC को निर्देशों का पालन करना होगा और 2025 के नियमों की वैधता पर आगे विचार किया जाएगा।




