नवी मुंबई में अवैध निर्माणों पर बॉम्बे हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी: “सरकार मूक दर्शक नहीं रह सकती, सबसे ज्यादा नुकसान मध्यमवर्गीय खरीदारों का”

बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवी मुंबई में तेजी से बढ़ रहे अवैध निर्माणों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि महाराष्ट्र सरकार “मूक दर्शक” बनकर नहीं रह सकती, क्योंकि अंततः सबसे ज्यादा प्रभावित मध्यमवर्गीय घर खरीदार ही होते हैं।

मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रचूड़ शेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंकड़ की खंडपीठ ने यह टिप्पणी पिछले सप्ताह एक जनहित याचिका पर आदेश पारित करते हुए की। आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध हुई।

नवी मुंबई महानगरपालिका (NMMC) ने अदालत को बताया कि शहर में 2,100 इमारतें ऐसी हैं, जो या तो बिना अनुमति बनीं या स्वीकृत नक्शों का उल्लंघन कर खड़ी की गईं।

अदालत ने कहा कि यह संख्या “गंभीर और तंत्रगत विफलता को दर्शाती है, जो भ्रष्ट अधिकारियों और डेवलपरों की सांठगांठ की ओर संकेत करती है” और इसे “बेहद चिंताजनक” बताया।

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पीठ ने टिप्पणी की कि जब आम घर खरीदार सबसे बड़े पीड़ित हों, तो राज्य सरकार चुपचाप नहीं बैठ सकती।

गंभीर मुद्दे को स्वीकार करने के बावजूद अदालत ने PIL को खारिज कर दिया। उसने कहा कि इसी साल मार्च में हाईकोर्ट की एक अन्य पीठ ने NMMC को निर्देश दिया था कि वह अवैध निर्माणों की व्यापक जांच करे और आगे की कार्रवाई से पहले मालिकों/कब्जाधारकों को नोटिस जारी करे।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि PIL की ख़ारिजी को किसी भी अवैध निर्माण की “मान्यता” नहीं माना जाएगा।
अदालत ने कहा, “ऐसे लोगों को घर खरीदारों की पीड़ा के लिए जिम्मेदारी से बचने नहीं दिया जा सकता,” और यह भी जोड़ा कि अधिकारी दोषी डेवलपरों तथा भ्रष्ट कर्मचारियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं।

याचिकाकर्ता ने ‘पाम बीच रेजिडेंसी’ का उदाहरण दिया—छह विंगों में बने 600 से अधिक फ्लैटों वाला यह प्रोजेक्ट, जिसके बारे में दावा किया गया कि बिना ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट (OC) के ही इसमें कब्जा दे दिया गया।

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अदालत ने बताया कि निगम ने इस साल की शुरुआत में प्रोजेक्ट को प्रोविजनल OC जारी किया है और कहा कि यदि गंभीर उल्लंघन कायम होते तो ऐसा प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाता।

कोर्ट ने यह भी कहा कि निर्माण में हुई अनियमितताओं की सूक्ष्म जांच करना उसका दायरा नहीं है, क्योंकि यह “प्लानिंग अथॉरिटी के विशिष्ट अधिकार क्षेत्र” में आता है।

पीठ ने यह भी दोहराया कि डेवलपर की गलती की सजा घर खरीदारों को नहीं दी जा सकती।

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अंत में अदालत ने कहा कि अवैधताओं के लिए जिम्मेदार डेवलपरों और अधिकारियों को जवाबदेही से बचने नहीं दिया जाएगा और राज्य व NMMC ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए स्वतंत्र हैं।

नवी मुंबई में अवैध निर्माण लंबे समय से चिंता का विषय रहे हैं, और हाईकोर्ट की यह टिप्पणी सरकार तथा स्थानीय प्रशासन पर निगरानी और कार्रवाई मजबूत करने का दबाव बढ़ाती है।

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