सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को फरार महादेव बेटिंग ऐप के सह-संस्थापक रवि उप्पल को ढूंढने और सुरक्षित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि श्वेत कॉलर अपराध (white-collar crime) के आरोपी अदालतों और जांच एजेंसियों को “खेल का उपकरण” नहीं बना सकते।
न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने उप्पल के लगातार कानून से बचने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, “यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है और अदालत को इस पर कुछ करना होगा।”
पीठ ने बताया कि उप्पल को दिसंबर 2023 में दुबई में इंटरपोल रेड नोटिस के आधार पर हिरासत में लिया गया था, लेकिन बाद में रिहा कर निगरानी में रखा गया। अब उसके किसी अज्ञात स्थान पर भाग जाने से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) प्राधिकरणों ने उसके प्रत्यर्पण की कार्यवाही बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
अदालत ने कहा, “ऐसे सरगनाओं के लिए अदालतें और जांच एजेंसियां महज खिलौने बन गई हैं। हमें इस पर कुछ करना ही होगा।”
पीठ ने ईडी से कहा, “हम उसकी याचिका खारिज करेंगे। पता लगाइए कि उसे कैसे सुरक्षित किया जा सकता है। वह काफी संसाधन संपन्न व्यक्ति लगता है, जो एक जगह से दूसरी जगह उड़ता रहता है।”
सुप्रीम कोर्ट उप्पल की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के 22 मार्च के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में उसे रायपुर की विशेष अदालत में लंबित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पेश होने का निर्देश दिया गया था।
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने अदालत को बताया कि उप्पल दुबई से फरार हो गया है, जहां वह निगरानी में था। राजू ने कहा कि वित्तीय अपराधों में लिप्त आरोपी अक्सर उन देशों में भाग जाते हैं, जिनके साथ भारत का प्रत्यर्पण संधि नहीं है।
उन्होंने कहा, “संभव है कि वह ब्रिटिश वर्जिन द्वीप जैसे स्थान पर चला गया हो, जहां भारत की कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है।”
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 14 नवम्बर तय की और उप्पल के वकील से कहा कि वह अपने मुवक्किल को भारत लौटकर कानूनी प्रक्रिया में शामिल होने के लिए राजी करें।
न्यायमूर्ति सुंदरेश ने कहा, “वह हमेशा भागता नहीं रह सकता। उसे इस प्रक्रिया में भाग लेना ही होगा। जहां तक जमानत का प्रश्न है, हम उदार हैं और उचित चरण पर उसकी अर्जी पर विचार करेंगे।”
अदालत ने ईडी को यह भी निर्देश दिया कि वह यह जांचे कि क्या हाल ही में शीर्ष अदालत के उस फैसले का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें अपवादस्वरूप जांच एजेंसियों को आरोपियों के वकीलों को तलब करने की अनुमति दी गई है, ताकि फरार आरोपियों का सुराग मिल सके। अदालत ने कहा कि अब इस मामले में और स्थगन नहीं दिया जाएगा।
रवि उप्पल और उनके सहयोगी सौरभ चंद्राकर ने वर्ष 2018 में महादेव ऑनलाइन बुक नामक प्लेटफॉर्म शुरू किया था, जो कई ऐप्स के माध्यम से ऑनलाइन सट्टेबाजी की सुविधा देता था। जांच एजेंसियों के अनुसार, यह घोटाला लगभग 6,000 करोड़ रुपये का है और देश के कई राज्यों में फैला हुआ है।
उप्पल का सहयोगी सौरभ चंद्राकर अक्टूबर 2024 में दुबई में गिरफ्तार किया गया था और उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अभी भी लंबित है। यह मामला पहले छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में सीबीआई को जांच सौंपी गई, क्योंकि शुरुआती जांच में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम भी सामने आया था।




