सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का पक्ष: सौतेली मां भारतीय वायुसेना पेंशन की हकदार नहीं

केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारतीय वायुसेना के पेंशन नियमों के तहत सौतेली मां को जैविक मां के समान मानकर पारिवारिक पेंशन नहीं दी जा सकती।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ के समक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने कहा कि पेंशन कोई दया या कृपा नहीं बल्कि एक अधिकार है, लेकिन यह अधिकार पूर्णतः निरपेक्ष नहीं है और केवल वैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत ही दावा किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, “यह विधि का स्थापित सिद्धांत है कि पेंशन कोई बाउंटी (दान) नहीं है, बल्कि अधिकार है। किंतु यह अधिकार तभी मान्य है जब संबंधित व्यक्ति लागू नियमों और प्रावधानों के अंतर्गत स्पष्ट पात्रता साबित करे।”

Video thumbnail

यह मामला जयश्री वाई. जोगी की अपील से जुड़ा है, जिन्होंने 10 दिसंबर 2021 को सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) के आदेश को चुनौती दी थी। आदेश में उन्हें विशेष पारिवारिक पेंशन देने से इनकार किया गया था।

READ ALSO  अभियोजन स्वीकृति धारा 167 सीआरपीस में रिमांड के लिए पूर्व शर्त नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

जोगी ने बताया कि उन्होंने मृतक वायु सैनिक का पालन-पोषण छह वर्ष की आयु से किया था, जब उसकी वास्तविक मां का निधन हो गया और पिता ने पुनर्विवाह किया। 28 अप्रैल 2008 को यह वायु सैनिक वायुसेना मैस में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया गया।

जोगी का कहना है कि वह सौतेली मां होने के बावजूद पेंशन की हकदार हैं। वहीं, वायुसेना का दावा है कि सैनिक ने आत्महत्या की और नियमानुसार सौतेली मां पात्रता श्रेणी में नहीं आती।

केंद्र ने तर्क दिया कि भारतीय वायुसेना पेंशन विनियम, 1961 की धारा 192 के अनुसार विशेष पारिवारिक पेंशन केवल निम्नलिखित परिजनों को दी जा सकती है:
(i) विधिवत विवाहित पत्नी,
(ii) पिता,
(iii) मां,
(iv) वास्तविक और वैध पुत्र,
(v) वास्तविक और वैध पुत्री।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने एएफटी में न्यायिक सदस्यों के रूप में वकीलों की नियुक्ति की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी

केंद्र ने कहा कि यहाँ “मां” शब्द का आशय केवल जैविक मां से है, न कि सौतेली मां से। यदि सौतेली मां को इसमें शामिल किया जाता है, तो यह कानून की परिभाषा से परे न्यायिक विस्तार होगा।

सरकार ने यह भी कहा कि यद्यपि पेंशन संबंधी क़ानून कल्याणकारी प्रकृति के होते हैं और उदार व्याख्या की मांग करते हैं, लेकिन व्याख्या हमेशा अधिनियम की सीमा के भीतर ही रहनी चाहिए।

READ ALSO  यूपी सरकार की बर्खास्तगी की मांग करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से ख़ारिज

सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को पहले ही इस प्रकार तय किया था: “क्या सौतेली मां सेना नियमों के तहत साधारण या विशेष पारिवारिक पेंशन की हकदार है?” इस पर अगली सुनवाई अब 20 नवंबर को होगी।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles