सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी को फटकार लगाई, कहा– “कोई वीआईपी आए तो दो घंटे में साफ कर दोगे, लेकिन अदालत के आदेश का सम्मान नहीं”

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी स्थित लोदी-युगीन स्मारक ‘गुमटी ऑफ शेख अली’ की सफाई और रखरखाव में लापरवाही पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि यदि कोई गणमान्य व्यक्ति वहां आता है तो एमसीडी “दो घंटे में परिसर को चमका देगा”, लेकिन अदालत के आदेशों के पालन में कोई गंभीरता नहीं दिखाई जाती।

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने नाराज़गी जताते हुए एमसीडी आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से अदालत में तलब किया। अदालत ने कहा, “क्या हमारे आदेशों का यही सम्मान है? हमने बार-बार समय और अवसर दिया लेकिन आपकी कार्यप्रणाली ने हमारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।”

सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी आयुक्त को निर्देश दिया कि वे जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करें और एक ठोस कार्ययोजना पेश करें। अदालत ने आदेश दिया कि प्रतिदिन की निगरानी के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति की जाए और उसकी जानकारी कोर्ट द्वारा नियुक्त आयुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन को दी जाए।

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पीठ ने टिप्पणी की, “यदि कोई गणमान्य व्यक्ति आने वाला हो तो आप दो घंटे में साफ-सफाई कर देंगे और इलाका चमक उठेगा। लेकिन क्या यहां अहं का सवाल है कि आप कहें कि यह काम तो पुरातत्व विभाग करेगा?”

यह मामला डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी द्वारा दायर याचिका से संबंधित है, जिसमें उन्होंने ‘गुमटी ऑफ शेख अली’ को प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल तथा अवशेष अधिनियम, 1958 (AMASR Act) के अंतर्गत संरक्षित घोषित करने की मांग की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2019 में उनकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही आदेश दिया था कि इस स्मारक के पार्क का इस्तेमाल बैडमिंटन या बास्केटबॉल कोर्ट बनाने के लिए न किया जाए। साथ ही, दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि गुमटी ऑफ शेख अली को संरक्षित स्मारक घोषित करने की अधिसूचना जारी करे। अदालत ने डिफेंस कॉलोनी रेज़िडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को अवैध ढांचे हटाने और 1960 के दशक से स्मारक परिसर पर कब्ज़ा करने के एवज में दिल्ली पुरातत्व विभाग को 40 लाख रुपये बतौर मुआवजा जमा करने का आदेश भी दिया था।

बुधवार की सुनवाई में एमसीडी आयुक्त ने “संचार में कमी” की बात स्वीकार की और अदालत को आश्वस्त किया कि सीमेंटेड हिस्से हटाए जाएंगे। अदालत ने अब इस मामले की सुनवाई 18 सितंबर तक स्थगित की है और एमसीडी से उन अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है जिन्होंने आदेशों का पालन नहीं किया।

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एएमएएसआर अधिनियम के अंतर्गत संरक्षित स्मारकों को अतिक्रमण, तोड़फोड़ और अवैध निर्माण से सुरक्षा मिलती है, ताकि उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखा जा सके। सुप्रीम कोर्ट लगातार इस स्मारक की सुंदरता और संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए निगरानी कर रहा है।

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