गुजरात हाईकोर्ट ने वर्चुअल और हाइब्रिड मोड में मामलों की सुनवाई के लिए संशोधित स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी की है। 7 अगस्त 2025 को जारी इस नए सर्कुलर में वर्चुअल “वेटिंग रूम” फीचर को लागू किया गया है और ऑनलाइन सुनवाई के दौरान कोर्ट की गरिमा बनाए रखने को लेकर सख्त निर्देश दिए गए हैं। यह सर्कुलर पूर्ववर्ती एसओपी को निरस्त करता है और एक स्वतः संज्ञान अवमानना याचिका (Criminal Misc. Application No. 12821 of 2025) में दिए गए मौखिक आदेश के पालन में जारी किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश और गुजरात हाईकोर्ट की फुल कोर्ट की मंजूरी से जारी किए गए इस संशोधित एसओपी का उद्देश्य वर्चुअल सुनवाई की प्रक्रिया को अधिक सुव्यवस्थित और गरिमापूर्ण बनाना है।
हाईकोर्ट में हाइब्रिड सुनवाई की शुरुआत 13 जून 2023 को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी। इसके सफल परीक्षण के बाद 29 सितंबर 2023 से इसे सभी बेंचों पर लागू कर दिया गया था। अब जारी किया गया एसओपी फरवरी 2024 में जारी निर्देशों का स्थान लेगा।

संशोधित एसओपी की प्रमुख बातें
वेटिंग रूम फीचर लागू
अब वर्चुअल सुनवाई में शामिल होने वाले सभी प्रतिभागी पहले वेटिंग रूम में प्रवेश करेंगे। कोर्ट मास्टर उनके डिस्प्ले नाम और केस के सीरियल नंबर की जांच के बाद ही उन्हें मुख्य सुनवाई में प्रवेश देंगे।
डिस्प्ले नाम का फॉर्मेट अनिवार्य
प्रतिभागियों को अपना नाम केस के सीरियल नंबर के साथ डिस्प्ले करना होगा। नाम गलत होने या फॉर्मेट का पालन न करने पर उन्हें वर्चुअल सुनवाई में प्रवेश नहीं मिलेगा।
पेशेवर परिधान अनिवार्य
वकीलों को प्रोफेशनल ड्रेस पहनना अनिवार्य होगा। पक्षकारों और व्यक्तिगत रूप से पेश होने वालों को भी उपयुक्त वस्त्र पहनने होंगे। इसका पालन न करने पर सुनवाई का अधिकार छिन सकता है।
कोर्ट की गरिमा बनाए रखने के निर्देश
प्रतिभागियों को शांत और स्थिर स्थान (जैसे वाहन से नहीं) से जुड़ना होगा, कैमरा ऑन रखना होगा, और सुनवाई के दौरान ध्यानपूर्वक उपस्थित रहना होगा।
माइक्रोफोन और उपकरणों के उपयोग का नियंत्रण
सुनवाई में शामिल होते समय माइक्रोफोन म्यूट रखना होगा, और केवल अपनी बारी आने पर ही अनम्यूट करना होगा। एक ही स्थान से कई उपकरणों का प्रयोग करने से बचने की सलाह दी गई है।
रिकॉर्डिंग पर प्रतिबंध
गुजरात हाईकोर्ट (कोर्ट कार्यवाही के लाइव स्ट्रीमिंग) नियम, 2021 के अनुसार किसी भी प्रकार की रिकॉर्डिंग प्रतिबंधित है।
प्रतिभागियों की संख्या नियंत्रित करने के अधिकार
यदि किसी सुनवाई में प्रतिभागियों की संख्या निर्धारित सीमा से अधिक हो जाती है, तो कोर्ट मास्टर गैर-जरूरी दर्शकों को हटा सकते हैं। इन-कैमरा मामलों में केवल संबंधित पक्ष और उनके वकीलों को ही अनुमति होगी।
अशोभनीय व्यवहार पर त्वरित कार्रवाई
यदि कोई प्रतिभागी अनुचित व्यवहार करता है या कोर्ट की मर्यादा के खिलाफ आचरण करता है, तो कोर्ट मास्टर उसे तुरंत वर्चुअल सुनवाई से हटा सकते हैं। ऐसे मामलों में अवमानना की कार्यवाही भी हो सकती है।
वकीलों की जिम्मेदारी
वकीलों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने मुवक्किलों और पक्षकारों को इन नियमों की जानकारी दें और उनका पालन सुनिश्चित करें।
हाईकोर्ट ने फिर दोहराई न्यायिक कार्यवाही की गंभीरता
सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि वर्चुअल और हाइब्रिड मोड में की गई कोर्ट की कार्यवाही पूरी तरह से न्यायिक कार्यवाही मानी जाएगी और “फिजिकल कोर्ट” के सभी नियम इसमें भी लागू होंगे।
सर्कुलर के अंत में सख्त चेतावनी दी गई है—
“उपरोक्त निर्देशों का पालन न करने पर कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही की जा सकती है।”