दो डिग्रियों की परीक्षा तिथि में संशोधन की याचिका पर विचार का अधिकार नहीं: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर ने एक याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि कोई भी विद्यार्थी, जो एक साथ दो शैक्षणिक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहा हो, को परीक्षा कार्यक्रम में संशोधन के लिए विश्वविद्यालयों को निर्देश देने का कोई अधिकार (locus) नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार का निर्देश देने की याचिका, रिट क्षेत्राधिकार के अंतर्गत विचार योग्य नहीं है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा ने 20 जून 2025 को डब्ल्यूपीसी संख्या 3068/2025 में पारित किया, जो याचिकाकर्ता सत्येन्द्र प्रकाश सूर्यवंशी द्वारा दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता स्वयं प्रकट हुए।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट सिद्धारमैया के खिलाफ एफआईआर रद्द करने से हाई कोर्ट के इनकार के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई करेगा

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वे एक साथ दो डिग्रियों—पं. सुंदरलाल शर्मा (ओपन) विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ सोशल वर्क (एम.एस.डब्ल्यू.) और अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय से एलएलबी (तृतीय वर्ष, द्वितीय सेमेस्टर)—का अध्ययन कर रहे हैं। दोनों विश्वविद्यालयों द्वारा जारी अंतिम परीक्षा कार्यक्रम में चार विषयों की परीक्षा एक ही दिन और एक ही समय पर निर्धारित की गई है, जिससे उन्हें दोनों परीक्षाओं में सम्मिलित होना असंभव हो गया है।

Video thumbnail

उन्होंने याचिका में यह भी उल्लेख किया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा एक संशोधित अधिसूचना जारी कर दो डिग्रियों को एक साथ पढ़ने की अनुमति दी गई है और छत्तीसगढ़ सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू करते हुए समावेशी शिक्षा पद्धति अपनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने तर्क दिया कि यह परीक्षा संघर्ष (exam clash) उनके संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है, और इसलिए कोर्ट को परीक्षा कार्यक्रमों पर स्थगन लगाना चाहिए।

READ ALSO  सीआईडी ने अमरावती आवंटित भूमि मामले में चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया

राज्य और संबंधित विश्वविद्यालयों के अधिवक्ताओं ने याचिका का विरोध किया।

सभी पक्षों की दलीलें सुनने और रिकॉर्ड का परीक्षण करने के पश्चात न्यायालय ने कहा:

“…याचिकाकर्ता को दो शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए अंतिम परीक्षा कार्यक्रम में संशोधन हेतु उत्तरदायी अधिकारियों को निर्देश देने का कोई अधिकार नहीं है…”

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रकार का राहत रिट क्षेत्राधिकार में प्रदान नहीं की जा सकती और याचिका में कोई मेरिट नहीं पाई गई।

READ ALSO  ढाई साल की मासूम के लिए अवकाश में भी खुला हाईकोर्ट

फलस्वरूप, याचिका को खारिज कर दिया गया।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles