तेलंगाना हाईकोर्ट ने Arbitration and Conciliation Act, 1996 की धारा 11(5) और 11(6) के तहत दायर मध्यस्थता आवेदन को स्वीकार करते हुए माना कि Urbanwoods Realty LLP और प्रतिवादियों के बीच एक प्रथम दृष्टया वैध मध्यस्थता समझौता मौजूद है। न्यायमूर्ति के. लक्ष्मण ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी.वी.एस. राव को इस विवाद के एकल मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया।
पृष्ठभूमि
Urbanwoods Realty LLP और प्रतिवादीगण ने 1 जुलाई 2020 को Memorandum of Understanding (MoU) और Agreement of Sale पर हस्ताक्षर किए थे। ये समझौते रंगा रेड्डी ज़िले के सेरिलिंगमपल्ली मंडल के खाजगुड़ा गांव में स्थित भूमि के संयुक्त विकास से संबंधित थे।
एमओयू के अनुसार, ज़मीन मालिकों को निर्मित क्षेत्र में से 2,10,000 वर्ग फीट का हिस्सा और ₹10 करोड़ की रिफंडेबल सुरक्षा राशि मिलनी थी। Agreement of Sale के अनुसार, कुल बिक्री मूल्य ₹80 करोड़ था, जिसे चरणबद्ध तरीके से अदा किया जाना था।

Urbanwoods का कहना था कि उसने 1 जनवरी 2023 तक ₹13.52 करोड़ का भुगतान कर दिया था और स्वीकृतियों के लिए आवश्यक कार्यवाही कर रहा था। लेकिन जब उसे यह ज्ञात हुआ कि प्रतिवादी अन्य पक्षों के साथ अनुबंध करने की कोशिश कर रहे हैं, तो उसने Arbitration Act की धारा 9 के तहत एक आवेदन दाखिल किया, जिसे 19 अगस्त 2024 को स्वीकार कर लिया गया और एक अस्थायी निषेधाज्ञा दी गई।
10 जनवरी 2023 को Urbanwoods ने MoU और Agreement of Sale में मौजूद मध्यस्थता धाराओं का हवाला देते हुए विवादों के समाधान के लिए मध्यस्थता की मांग की। 13 जनवरी 2023 को प्रतिवादीगण ने उत्तर देकर कहा कि दोनों समझौते समय की समाप्ति से स्वतः समाप्त हो चुके हैं और अब मध्यस्थता धाराएं लागू नहीं हो सकतीं। उन्होंने 13 सितंबर 2022 की एक Indemnity Bond पर भी भरोसा जताया, जिसमें यह कहा गया था कि पूर्ववर्ती एमओयू समाप्त किया जा चुका है और नई शर्तों पर चर्चा की जानी है।
प्रतिवादियों की आपत्तियाँ
प्रतिवादियों ने निम्नलिखित आपत्तियाँ उठाईं:
- समझौते अपर्याप्त रूप से स्टैम्प किए गए थे।
- Agreement of Sale में प्रयुक्त “may” शब्द मध्यस्थता को अनिवार्य नहीं बनाता।
- समझौतों की समाप्ति से मध्यस्थता धारा भी अप्रभावी हो जाती है।
उन्होंने WAPCOS Ltd. बनाम Salma Dam JV (2020) 3 SCC 169 और Wellington Associates Ltd. बनाम Kirit Mehta (2000) 4 SCC 272 जैसे मामलों पर भी भरोसा किया।
न्यायालय की टिप्पणियाँ
न्यायालय ने स्टैम्पिंग से जुड़ी आपत्ति को खारिज कर दिया और Interplay Between Arbitration Agreements under Arbitration Act, 1996 & Stamp Act, 1899, In re [(2024) 6 SCC 1] नामक संविधान पीठ के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि स्टैम्पिंग संबंधी मुद्दे मध्यस्थता प्राधिकरण द्वारा तय किए जाएंगे, न कि धारा 11 की कार्यवाही के दौरान।
समझौते की समाप्ति के विषय में न्यायालय ने कहा:
“यह स्थापित विधि है कि मध्यस्थता धारा एक स्वतंत्र समझौता होती है। मूल अनुबंध की समाप्ति से यह स्वतः समाप्त नहीं होती।”
न्यायालय ने SBI General Insurance Co. Ltd. बनाम Krish Spinning [2024 SCC OnLine SC 1754] का हवाला देते हुए ‘Separability Doctrine’ और धारा 11 के सीमित दायरे को रेखांकित किया।
जहाँ तक “may” शब्द की बात थी, न्यायालय ने कहा कि MoU और Agreement of Sale एक ही लेनदेन का हिस्सा हैं और इन्हें संयुक्त रूप से पढ़ा जाना चाहिए। MoU में स्पष्ट और बाध्यकारी मध्यस्थता धारा है, जिसे मुख्य समझौता माना गया, जबकि Agreement of Sale एक गौण दस्तावेज़ था। इसके समर्थन में न्यायालय ने Olympus Superstructures (P) Ltd. बनाम Meena Vijay Khetan [(1999) 5 SCC 651] का उल्लेख किया।
निर्णय
न्यायालय ने निष्कर्ष दिया:
“उपरोक्त चर्चा के आलोक में, यह न्यायालय मानता है कि पक्षकारों के बीच एक वैध मध्यस्थता समझौता मौजूद है।”
अतः न्यायालय ने मध्यस्थता आवेदन स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति वी.वी.एस. राव (पूर्व न्यायाधीश, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट) को एकल मध्यस्थ नियुक्त किया।
मामला शीर्षक: Urbanwoods Realty LLP बनाम श्रीमती उमा रस्तोगी (मृत) एवं अन्य