पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यदि कोई कर्मचारी अपनी पहली वैवाहिक स्थिति के रहते हुए भी दूसरी महिला से विवाह करता है और सेवा रिकॉर्ड में उसे नामांकित करता है, तो उस महिला को अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार मिलेगा, भले ही पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त न हुई हो — यदि वह महिला उस कर्मचारी पर आश्रित थी। यह निर्णय न्यायमूर्ति दीपींदर सिंह नलवा की एकल पीठ ने CWP No. 19578 of 2023 (O&M): किरनदीप कौर बनाम पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड में सुनाया।
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता संख्या-1 किरनदीप कौर ने अपने पति तीरथ सिंह की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर यह याचिका दायर की। तीरथ सिंह पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PSPCL) में असिस्टेंट लाइनमैन पद पर कार्यरत थे और 26 फरवरी 2022 को सेवा में रहते हुए उनका निधन हो गया। याचिकाकर्ता संख्या 2 व 3 उनकी नाबालिग बेटियां हैं।
तीरथ सिंह का विवाह वर्ष 2006 में बलजींदर कौर से हुआ था, लेकिन उन्होंने 2007 में पंचायत स्तर पर तलाक लेने का दावा किया। बलजींदर कौर ने इसके बाद किसी अन्य व्यक्ति से विवाह कर लिया और अलग रहने लगीं। इसके बाद 2 फरवरी 2009 को तीरथ सिंह ने याचिकाकर्ता किरनदीप कौर से विवाह किया, जिससे उन्हें दो बेटियां हुईं।

पति की मृत्यु के बाद, याचिकाकर्ता ने 2 मार्च 2022 को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया। बलजींदर कौर (पहली पत्नी) ने भी एक हलफनामा दिया, जिसमें उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति पर कोई दावा नहीं जताया। इसके बावजूद, 12 सितंबर 2023 को नियुक्ति पत्र जारी होने के बाद भी याचिकाकर्ता को कार्यभार ग्रहण नहीं करने दिया गया। इसके पीछे कारण यह बताया गया कि पंचायत तलाक अदालत के आदेश के समकक्ष नहीं है, अतः दूसरी शादी अमान्य मानी जाएगी।
विधिक प्रश्न
क्या किसी सरकारी कर्मचारी की दूसरी पत्नी, जिसे सेवा रिकॉर्ड में नामांकित किया गया हो और जो पूरी तरह से कर्मचारी पर आश्रित रही हो, अनुकंपा नियुक्ति की पात्र हो सकती है, भले ही पहली शादी न्यायालय द्वारा समाप्त न की गई हो?
पक्षकारों की दलीलें
याचिकाकर्ता की ओर से:
वरिष्ठ अधिवक्ता जी.एस. पुनिया ने दलील दी कि याचिकाकर्ता वर्ष 2009 से मृतक कर्मचारी के साथ पत्नी के रूप में रह रही थीं, उनके दो बच्चे हैं, और सेवा रिकॉर्ड में उन्हें नामांकित किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि पहली पत्नी ने हलफनामा देकर अनुकंपा नियुक्ति पर कोई दावा नहीं करने की बात कही है।
याचिकाकर्ताओं की पूरी आजीविका मृतक पर आश्रित थी, ऐसे में नियुक्ति से इनकार करना अन्यायपूर्ण है।
उन्होंने निम्नलिखित निर्णयों पर भरोसा जताया:
- Vidyadhari & Ors. v. Sukhrana Bai & Ors., (2008) 2 SCC 238
- Tulsa Devi Nirola & Ors. v. Radha Nirola & Ors., 2020 (2) SCT 301
- Gaddam Ruth Victoria v. State of Andhra Pradesh & Others, 2023 (6) Andh LD 194
प्रतिवादी PSPCL की ओर से:
प्रतिवादी पक्ष ने दलील दी कि मृतक की पहली शादी जीवित थी और उसका न्यायिक तलाक नहीं हुआ था, अतः दूसरी शादी अमान्य है और याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल सकती।
उन्होंने निम्नलिखित मामलों पर भरोसा किया:
- Nishan Singh v. State of Punjab, CRWP No. 763 of 2021
- Smt. Manjula N. v. Commissioner of Police, W.P. No. 33134-2016 (कर्नाटक हाईकोर्ट)
न्यायालय के अवलोकन
न्यायालय ने माना कि भले ही याचिकाकर्ता को कानूनी पत्नी का दर्जा न मिला हो, लेकिन यथार्थ परिस्थितियाँ अधिक महत्वपूर्ण हैं।
“यह निर्विवाद तथ्य है कि याचिकाकर्ता संख्या-1 का 2009 में तीरथ सिंह (मृतक) से विवाह हुआ और उन्हें दो बेटियां प्राप्त हुईं। यह भी स्वीकार्य तथ्य है कि याचिकाकर्ता उनके साथ 23 वर्षों तक रही जब तक उनका निधन 26.02.2022 को नहीं हो गया।”
अदालत ने कहा:
“याचिकाकर्ता संख्या-1 को मृतक तीरथ सिंह की सेवा पुस्तिका में नामांकित किया गया है और उन्हें कानून के अनुसार सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त करने का अधिकार है।”
“तीरथ सिंह की पहली पत्नी ने शपथपत्र देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अनुकंपा नियुक्ति की मांग नहीं करेंगी।”
Vidyadhari मामले का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि भले ही दूसरी शादी अमान्य हो, यदि पत्नी को नामांकित किया गया है और उनके बच्चे वैध उत्तराधिकारी हैं, तो मृत्यु लाभ दिया जा सकता है।
न्यायालय ने PSPCL द्वारा उद्धृत निर्णयों पर टिप्पणी करते हुए कहा:
“Nishan Singh का मामला पुलिस सहायता से संबंधित था। Smt. Manjula N. के मामले में यह साबित नहीं हुआ था कि वह नामांकित थीं। अतः ये निर्णय प्रतिवादी के पक्ष में सहायक नहीं हैं।”
निर्णय
न्यायालय ने याचिका को स्वीकार करते हुए आदेश दिया:
“याचिकाकर्ता संख्या-1 (विधवा), जिन्हें मृतक कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में नामांकित किया गया है और जो पूरी तरह उन पर आश्रित थीं, अनुकंपा नियुक्ति की पात्र हैं।”
“प्रतिवादीगण को निर्देश दिया जाता है कि वे याचिकाकर्ता संख्या-1 को 12.09.2023 के नियुक्ति पत्र (संलग्न पी-27) के अनुसार 2 सप्ताह के भीतर कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति दें।”
सभी लंबित याचिकाएं भी निस्तारित कर दी गईं।
मामले का शीर्षक: किरनदीप कौर व अन्य बनाम पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड व अन्य
मामला संख्या: CWP-19578 of 2023 (O&M)