सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने हाल ही में पुस्तक ‘Women Laws from the Womb to the Tomb: Rights and Remedies’ के विमोचन समारोह में कहा कि महिलाएं पारंपरिक रूप से पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में अतिक्रमण नहीं कर रहीं, बल्कि वे उन दीर्घकालिक रुकावटों को तोड़ रही हैं जिन्होंने उन्हें अनुचित रूप से बाहर रखा।
वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पावनी द्वारा लिखित यह पुस्तक महिलाओं के जीवन भर उपलब्ध कानूनी अधिकारों और उपायों की विस्तृत जानकारी देती है।
इस अवसर पर बोलते हुए न्यायमूर्ति नागरत्ना ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं की पेशेवर भूमिकाओं को लेकर प्रयुक्त भाषा में बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने उन वाक्यांशों की आलोचना की जो यह संकेत देते हैं कि महिलाएं बाहरी हैं या किसी पुरुष-प्रधान क्षेत्र में घुसपैठ कर रही हैं। उन्होंने कहा, “ये क्षेत्र हमेशा साझा किए जाने के लिए थे, और शक्ति व प्रभाव के क्षेत्रों में महिलाओं की उपस्थिति न तो असामान्य है और न ही घुसपैठ है।”
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने उस पुरानी सोच की आलोचना की जिसमें शक्ति, निर्णय क्षमता और बुद्धिमत्ता को केवल पुरुषों से जोड़ा जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया, “महिलाएं नागरिक हैं, योगदानकर्ता हैं, विचारक हैं और नेता हैं। वे कुछ हथिया नहीं रहीं, बल्कि अपने वैध स्थान को पुनः प्राप्त कर रही हैं।”
उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों के व्यवहारिक उपयोग पर भी बात की, विशेष रूप से आईपीसी की धारा 498A (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा की गई क्रूरता) के दुरुपयोग पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वह सच्चाई का पता लगाए ताकि झूठे मामलों से वास्तविक पीड़ितों का हक न छिन जाए। उन्होंने कहा, “हमारे कानूनी ढांचे में महिलाओं के जीवन के हर चरण के लिए सुरक्षा के प्रावधान हैं, लेकिन चुनौती इनका प्रभावी क्रियान्वयन है।”
इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन भी उपस्थित थे। उन्होंने विज्ञान, तकनीक, कला और संस्कृति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान की सराहना की और कहा कि इससे यह सिद्ध होता है कि समाज को महिलाओं की भागीदारी से कितना लाभ होता है।
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने पुस्तक की 24 अध्यायों वाली व्यापक विषयवस्तु की प्रशंसा की, जिसमें जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक महिलाओं को आने वाली चुनौतियों को समाहित किया गया है। उन्होंने कहा, “यह पुस्तक हर कानूनी पेशेवर के लिए आवश्यक पठन है और हर महिला के लिए एक अमूल्य संसाधन है, जिससे वह अपने अधिकारों को समझ सके और उन्हें लागू कर सके।”