सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड की धार्मिक संरचना को लेकर तीखे सवाल उठाए। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूछा कि यदि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जा रहा है, तो क्या सरकार हिंदू धार्मिक न्यासों में मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल करेगी?
मुख्य न्यायाधीश ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किया—
“क्या आप कह रहे हैं कि अब से मुसलमानों को हिंदू धार्मिक न्यासों के बोर्ड में भी रखा जाएगा? इसे स्पष्ट रूप से कहिए।”
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की तीन-न्यायाधीशों की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें 70 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि संशोधित कानून के तहत वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना समुदाय के धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने के संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 26) का उल्लंघन है।
पीठ ने यह भी रेखांकित किया कि संशोधित अधिनियम के अनुसार वक्फ बोर्ड में आठ सदस्य मुस्लिम हैं और संभवतः दो सदस्य गैर-मुस्लिम हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने पूछा—
“फिर हिंदू धार्मिक न्यासों के सलाहकार बोर्ड में गैर-हिंदू क्यों नहीं?”
इस पर सॉलिसिटर जनरल ने पलटवार करते हुए कहा—
“तो फिर इस तर्क से यह पीठ भी इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकती।”
इस टिप्पणी पर मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा—
“क्या? जब हम यहां बैठते हैं तो हमारा धर्म खत्म हो जाता है। हमारे लिए दोनों पक्ष एक समान हैं। आप न्यायाधीशों की तुलना कैसे कर सकते हैं?”
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने यह भी कहा कि कुछ व्यावहारिक पहलू होते हैं, जैसे कि मस्जिदों तक पहुंच और उनका संचालन, जिनके लिए मुस्लिम समुदाय की जानकारी आवश्यक हो सकती है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों को चैरिटी कमिश्नर के माध्यम से भी सुलझाया जा सकता है।
वक्फ संपत्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम राहत
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित कानून की दो अहम धाराओं पर अंतरिम रोक लगाई:
- जिस संपत्ति को अदालत ने वक्फ घोषित किया है, उसकी ‘डिनोटिफिकेशन’ उस समय नहीं की जाएगी जब मामला लंबित हो।
- जिलाधिकारी द्वारा जांच के दौरान किसी संपत्ति को वक्फ न मानने की जो रोक थी, उस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड के सभी सदस्य, सिवाय पदेन (ex-officio) सदस्यों के, मुस्लिम ही होने चाहिए।
अदालत इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार दोपहर 2 बजे करेगी।