गुजरात हाईकोर्ट ने कोर्टरूम में तंबाकू सेवन के आरोप में बर्खास्त जज को बहाल किया

गुजरात हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में उस जज को बहाल कर दिया है, जिसे पहले कोर्ट रूम में तंबाकू और पान मसाला खाने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था। इस फैसले ने कठोर सजा को पलटते हुए सुझाव दिया है कि इसके बदले में कोई कम कड़ी सजा दी जा सकती है।

यह मामला 2007 से 2009 के बीच का है, जब संबंधित जज की वडोदरा में पोस्टिंग थी। उन पर 23 अलग-अलग आरोप लगे थे, जिनमें स्टाफ के उत्पीड़न सहित अन्य आचरण से जुड़ी शिकायतें शामिल थीं। जनवरी 2009 में उनके आचरण की जांच के आदेश दिए गए थे। जांच में 14 आरोप पूरी तरह या आंशिक रूप से सही पाए गए। इसके बाद अप्रैल 2012 में उन्हें निलंबित कर दिया गया और अगस्त 2016 में गुजरात हाईकोर्ट के अनुशासनात्मक प्राधिकरण ने उनके कार्यों को अनुचित मानते हुए उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया।

हालांकि, जज ने अपनी बर्खास्तगी को हाईकोर्ट में चुनौती दी। इसके बाद मामले की पुन: समीक्षा हुई। मार्च 2024 में न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और निशा ठाकोर की पीठ ने यह पाया कि गंभीर आरोपों के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे, सिवाय तंबाकू सेवन और कुछ वकीलों का पक्ष लेने के।

Video thumbnail

मार्च 2024 में दिए गए फैसले और जनवरी 2025 में जारी स्पष्टीकरण में हाईकोर्ट ने कहा कि कोर्ट रूम में तंबाकू, पान मसाला और गुटखा खाना अदालत की गरिमा के खिलाफ है, जो एक गंभीर अनुशासनहीनता है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी माना कि इस आधार पर बर्खास्तगी की सजा देना बहुत कठोर होगा। इसलिए, अदालत ने किसी अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की।

यह मामला 31 जनवरी 2025 को फिर से हाईकोर्ट में आया, जब कोर्ट के प्रशासनिक विभाग ने “बर्खास्तगी” की जगह “समाप्ति” शब्द के उपयोग पर स्पष्टीकरण मांगा। इस पर बेंच ने कहा कि अधिकारियों को नियमों के तहत बर्खास्तगी से अलग कोई उपयुक्त सजा तय करने की स्वतंत्रता दी गई है।

READ ALSO  5 वर्षीय बच्चे ने स्कूल के पास से शराब की दुकान हटाने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles