दिल्ली हाईकोर्ट ने पाकिस्तानी प्रवासियों के लिए पुनर्वास पैकेज को अनिवार्य बनाने से किया इनकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त करने वाले पाकिस्तानी प्रवासियों के लिए व्यापक पुनर्वास पैकेज लागू करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने के खिलाफ फैसला सुनाया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे को सरकारी नीति के मामले के रूप में वर्गीकृत किया।

अखिल भारतीय धर्म प्रसार समिति द्वारा दायर याचिका में भारत में रह रहे बड़ी संख्या में पाकिस्तानी प्रवासियों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला गया है, जिनके बारे में समूह का दावा है कि वे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में रह रहे हैं और उन्हें तत्काल सहायता की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता के अनुसार, इन प्रवासियों को सम्मान के साथ जीने के लिए आश्रय, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और पानी, बिजली और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच सहित पर्याप्त सहायता की आवश्यकता है।

हालांकि, हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि पुनर्वास पैकेज का दायरा और क्रियान्वयन पूरी तरह से सरकारी नीति के दायरे में आता है और न्यायपालिका को इसे निर्देशित करने का अधिकार नहीं है। न्यायाधीशों ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पहले ही प्राधिकारियों के समक्ष इस प्रकार के पुनर्वास पैकेज पर विचार करने का अनुरोध किया है।

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