हाईकोर्ट ने हत्या के दोषियों को राहत देने से किया इनकार, 24 साल पुराने भूमि विवाद मामले में आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी

24 साल पहले भूमि विवाद से उपजे हत्या के एक लंबे समय से चले आ रहे मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दोषियों को कोई राहत देने से इनकार करते हुए उनकी आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है। न्यायालय ने सजा के खिलाफ अपील खारिज कर दी और जुर्माना राशि को मामूली 1,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया।

वर्ष 2000 में भूमि विवाद से संबंधित पुराने झगड़े के कारण गुरमेल सिंह की हत्या कर दी गई थी। क्रूर अपराध के बाद उसका खून से लथपथ शव बरामद किया गया था। पटियाला ट्रायल कोर्ट ने मूल रूप से दलजिंदर सहित सात व्यक्तियों को दोषी पाया था, उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और प्रत्येक पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।

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दोषियों ने वर्ष 2003 में अपनी आजीवन कारावास की सजा को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी। इसके अतिरिक्त, राज्य ने भी अभियुक्तों के लिए मृत्युदंड की मांग करते हुए अपील दायर की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि दोषियों ने अपना अपराध कबूल कर लिया है, तथा उनकी सूचना के आधार पर हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार बरामद कर लिए गए हैं।

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बचाव पक्ष के वकील किसी भी बिंदु पर कोई प्रभावी जिरह करने या जांच को चुनौती देने में विफल रहे। हाईकोर्ट ने बताया कि अभियोजन पक्ष ने फोरेंसिक रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों के आधार पर आरोपियों के खिलाफ आरोपों को स्पष्ट रूप से साबित कर दिया था, जिसके कारण उनके अपराध की पुष्टि हुई और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

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