उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में समाजवादी पार्टी नेता आजम खान के नेतृत्व वाले ट्रस्ट द्वारा संचालित मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय की भूमि का पट्टा रद्द करने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
याचिकाकर्ता के वकील और उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता (एजी) की दलीलें सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
एजी ने इस आधार पर पट्टा रद्द करने के फैसले का बचाव किया कि सार्वजनिक हित सर्वोपरि है। यह तर्क दिया गया कि उच्च शिक्षा (अनुसंधान संस्थान) के उद्देश्य से अधिग्रहित की गई भूमि का उपयोग रामपुर पब्लिक स्कूल चलाने के लिए किया जा रहा था।
महाधिवक्ता ने विशेष जांच दल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पट्टा रद्द करने से पहले याचिकाकर्ता के ट्रस्ट को पर्याप्त अवसर दिया गया था।
यह तर्क दिया गया कि यह “भाई-भतीजावाद” का मामला था, जहां तत्कालीन कैबिनेट मंत्री खुद संस्था चलाने वाले एक निजी ट्रस्ट के अध्यक्ष थे और कानून में निर्धारित प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए सभी स्वीकृतियां उनके द्वारा दी गई थीं।
पिछली समाजवादी पार्टी सरकार में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री आजम खान का जिक्र करते हुए एजी ने कहा, “शायद उन्होंने सोचा कि वह सुपर सीएम हैं।”
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि निष्पक्ष सुनवाई का कोई अवसर दिए बिना लीज डीड रद्द कर दी गई।