गाज़ियाबाद जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (DCDRC) ने एक अहम फैसले में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को आदेश दिया है कि वह पुणीत अग्रवाल को ₹1.43 लाख का भुगतान करे, जिनकी अल्टो कार 20 साल पहले चोरी हो गई थी। इसके अलावा आयोग ने मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाज़ी खर्च के लिए ₹5,000 का अतिरिक्त मुआवज़ा भी तय किया है।
मामले की पृष्ठभूमि
पुणीत अग्रवाल ने 10 मार्च 2003 को दिल्ली के झंडेवाला स्थित आईसीआईसीआई बैंक से कार लोन लेकर अल्टो कार खरीदी थी। उसी दिन नेशनल इंश्योरेंस कंपनी से ₹1.9 लाख की बीमा पॉलिसी भी कराई गई थी।
लेकिन महज एक महीने बाद, 6 अप्रैल 2003 को, हरिद्वार के हर की पौड़ी से उनका वाहन चोरी हो गया। उस समय अग्रवाल अपने परिवार के साथ छुट्टियां मना रहे थे। अग्रवाल ने तुरंत एफआईआर दर्ज कराई और बैंक व बीमा कंपनी को सूचना दी। जनवरी 2004 तक उन्होंने सभी ज़रूरी दस्तावेज़ कंपनी को सौंप दिए थे।

क्लेम अस्वीकार, लंबी कानूनी लड़ाई
नेशनल इंश्योरेंस ने दावा यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि अग्रवाल ने गाड़ी की उचित देखभाल नहीं की थी और असुरक्षित जगह पर पार्क किया था। अग्रवाल ने 2005 से 2006 के बीच चार बार कंपनी को पत्र लिखे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
निराश होकर उन्होंने गाज़ियाबाद उपभोक्ता आयोग का रुख किया, लेकिन वहां उनकी याचिका यह कहकर खारिज कर दी गई कि आयोग के पास अधिकार क्षेत्र नहीं है।
एक दशक लंबी लड़ाई के बाद फैसला
2011 में अग्रवाल ने लखनऊ स्थित राज्य उपभोक्ता आयोग (SCDRC) में अपील दायर की। फरवरी 2025 में SCDRC ने स्पष्ट किया कि गाज़ियाबाद DCDRC ही इस मामले का निपटारा कर सकता है। जुलाई 2025 में गाज़ियाबाद DCDRC ने अग्रवाल के पक्ष में फैसला सुनाया।
आयोग ने 2003 के बीमित मूल्य का 75% यानी ₹1.43 लाख और ₹5,000 का अतिरिक्त मुआवज़ा देने का आदेश दिया।
निर्णय में यह भी कहा गया कि यदि नेशनल इंश्योरेंस 45 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करती, तो उस पर 6% वार्षिक साधारण ब्याज लगेगा, जब तक पूरी राशि का भुगतान न हो जाए।