सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जांच समिति की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से जो बेहिसाब नकदी बरामद हुई थी, वह एक ऐसे स्टोर रूम में थी जिसकी पहुंच केवल वर्मा और उनके परिजनों तक थी। यह नकदी मार्च 2025 में दिल्ली स्थित उनके निवास 30, तुगलक क्रेसेंट से मिली थी।
India Today TV द्वारा प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, स्टोर रूम “गुप्त या सक्रिय नियंत्रण” में था और यह स्पष्ट रूप से वर्मा और उनके परिवार के दायरे में आता था। इससे उनके उस दावे को खारिज कर दिया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि यह कमरा सभी के लिए सुलभ था।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- निजी पहुंच की पुष्टि: समिति ने निष्कर्ष निकाला है कि वह कमरा जिसमें नकदी मिली थी, केवल न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों की सीधी पहुंच में था।
- नकदी की मात्रा और स्थिति: एक गवाह के अनुसार, जली और बिना जली नकदी स्टोर रूम के फर्श पर दरवाजे से लेकर दूसरी दीवार तक फैली थी, जिसकी ऊंचाई लगभग डेढ़ फीट तक थी।
- घरेलू स्टाफ की भूमिका: रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि न्यायमूर्ति वर्मा के विश्वसनीय घरेलू कर्मचारियों ने 15 मार्च को उस कमरे से अधजली नकदी हटाने में भूमिका निभाई थी।
- लिकर कैबिनेट और आग का खतरा: स्टोर रूम में एक शराब की अलमारी और स्विच बॉक्स के पास रखी ज्वलनशील सामग्री ने आग को और भड़काया, इसकी भी रिपोर्ट में गंभीरता से चर्चा की गई है।
- बेहिसाब नकदी की पुष्टि: समिति ने यह “अविवादित रूप से स्थापित” किया है कि न्यायमूर्ति वर्मा के निवास पर बेहिसाब नकदी बरामद हुई थी, जिसके लिए उन्हें एक विश्वसनीय स्पष्टीकरण देना अपेक्षित है।
न्यायमूर्ति वर्मा ने अब तक सभी आरोपों को नकारा है, लेकिन समिति की रिपोर्ट उनके बचाव में किए गए दावों को कमजोर करती है और उनके खिलाफ महाभियोग की सिफारिश को मजबूती देती है।

न्यायपालिका पर प्रभाव
यह रिपोर्ट भारतीय न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठाती है। संवैधानिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की “दुर्व्यवहार” की पुष्टि संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत महाभियोग की कार्रवाई का आधार बन सकती है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन समेत कई कानूनी संस्थाओं ने केंद्र सरकार द्वारा न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की संभावित खबरों का स्वागत किया है और इसे न्यायपालिका में जनता के भरोसे की बहाली की दिशा में एक कदम बताया है।
आगामी दिनों में सुप्रीम कोर्ट और संसद के स्तर पर इस रिपोर्ट पर औपचारिक कार्रवाई की संभावना है।