सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में निर्धारित संख्या से कम जज हैं। यदि वक्त रहते चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम की ओर से रिक्त पदों की भरपाई के लिए जल्द कदम नही उठाए गए तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
लगभग आज से एक दशक पूर्व वर्ष 2009 में सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 26 से 31 निर्धारित की गई थी। जिसमे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी शामिल हैं। इस समय सुप्रीम कोर्ट में 30 जज हैं। लेकिन आने वाले 6 माह में सुप्रीम कोर्ट से 5 जज रिटायर होने वाले हैं। जिसमे इंदु मल्होत्रा (13 मार्च),सीजेआई बोवड़े (23 अप्रैल), जस्टिस अशोक भूषण(4 जुलाई), जस्टिस आरएफ नरीमन (12 अगस्त), और जस्टिस नवीन सिन्हा(18 अगस्त) शामिल हैं।
इन सभी जजों के रिटायर होने के पश्चात जजों की संख्या वर्ष 1988 के स्तर पर आ रही है। तब इसे 18 से बढ़ाकर 26 किया गया था। वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 31 से बढ़ाकर 34 की गई थी।
बीते वर्ष 2 सितंबर को जस्टिस अरुण मिश्रा के रिटायर होने के बाद से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक नही हुई है। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में सीजेआई बोबडे ,जस्टिस एनवी रमना , जस्टिस आर एफ नरीमन , जस्टिस यूयू ललित, और जस्टिस ए एम खानविलकर हैं। यह कॉलेजियम हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से वरिष्ठ अधिवक्ताओं का चयन कर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के पदों के लिए करता है।
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सुप्रीम कोर्ट में किसी जज की आखिरी नियुक्ति 18 माह पूर्व 23 सिंतबर 2019 को जस्टिस ऋषिकेश राय की हुई थी।