इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तरप्रदेश अपार्टमेंट एक्ट और औद्योगिक एरिया विकास प्राधिकरण के प्राधिकारियों को सामान्य समादेश जारी कर बिल्डरों के खिलाफ फ्लैट स्वामियों की शिकायतें 3 महीने में तय करने के निर्देश देते हुए कहा है कि दोनों पक्ष को सुनकर अंतिम आदेश दिया जाय।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि एक गजटेड रैंक का अधिकारी पहले सुचना देकर 6 महीने में एक बार हय अपार्टमेंट में जाकर लोगों की शिकायतों का निवारण करे। और कह की अधिकारी की निष्क्रियता कर्तव्य पालन में लापरवाही बरती जाएगी जो सरकारी हस्तक्षेप को आमंत्रित करने वाली मानी जायेगी।
हाई कोर्ट के जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस पियुष अग्रवाल की खंडपीठ ने शिप्रा सृष्टि अपार्टमेंट की तरफ से दाखिल याचिका पर फैसला देते हुए कहा महानिबंधक को आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिये प्रति को प्रमुख सचिव शहरी विकास को भेजने का आदेश दिया है। जिससे वह संबंधित अधिकारियों को परिपत्र जारी कर निर्देशित कर सके।
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याचिकाकर्ता का कहना था कि राज्य सरकार ने बढ़ती आबादी और रिहायशी भवनों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपार्टमेंट एक्ट बनाया । जिसके अंतर्गत फ्लैट स्वामियों के हितों को संरक्षण देने और बिल्डरों के शोषण पर अंकुश लगाने की व्यवस्था की गई। कोर्ट ने कहा कि बिल्डरों के खिलाफ शिकायतों को लेकर बहुत तादाद में याचिका दाखिल हो रही है।