कर्नाटक हाईकोर्ट से याचिका दायर करने वाले ने ऐसी मांग रख दी जिसे सुनते ही न्यायाधीश ने उसे जमकर फटकार लगाते हुए 1 लाख रुपए का जुर्माना भी ठोक दिया।
दरअसल मामला यह है कि हाई कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता ने मैसूर के सोसेल मठ से जुड़े एक वाद के फैसले के लिए अपील की थी। और कहा था कि इस मामले की सुनवाई बाहरी जज के जरिए होनी चाहिए।
जिस पर कोर्ट ने याची पर न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुँचाने के आरोप में जुर्माना लगाया है।
इस वाद से जुड़े दूसरे प्रतिवादी बेंगलुरु निवासी वी गुरुराज हैं। फिलहाल यह मामला कोर्ट की सिंगल पीठ के समक्ष लंबित है।
याची ने तर्क दिया था कि भारत के पूर्व चीफ जस्टिस जो कि कर्नाटक हैं उनका यहाँ के जजों पर विशेष प्रभाव है। इसी कारण मामले की सुनवाई बाहरी जज से होनी चाहिए।
पूर्व सीजेआई की गरिमा में ठेस पहुँचाना-
याची के आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण और पूर्व सीजेआई की छवि को धूमिल करने के आरोप में चीफ जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका के नेतृत्व वाली डिवीज़न पीठ ने कहा कि इस तरह के गम्भीर आरोप अदालत पर लांछन लगाने जैसा है और यह अदालत की आपराधिक अवमानना के तहत आता है।
कोर्ट ने कहा कि याची का यह आरोप है कि रोस्टर जज याचिकाकर्ता को इंसाफ नही दिलाएंगे क्योंकि यहाँ पर पूर्व सीजेआई का काफी हस्तक्षेप है।
Read Also
जिनका विशेष रूप से नाम लिया गया। पूर्व सीजेआई पर कई पैराग्राफ में आरोप लगाए गए हैं। अदालत की गरिमा पर गंभीर अवमानना को लेकर कड़े शब्दों में निंदा जरूरी है।
कोर्ट ने कहा कि याची को केस वापस लेने की अनुमति दी जाती है। और कोर्ट की गरिमा को आहत करने के आरोप में 1 लाख रुपए जुर्माना भरने का आदेश दिया जाता है।