सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साफ कहा कि अगर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और राज्यपाल व कुलाधिपति राजेंद्र अर्लेकर दो विश्वविद्यालयों के कुलपति नियुक्ति के मुद्दे पर 9 दिसंबर तक आम सहमति नहीं बना पाते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट खुद हस्तक्षेप कर नियुक्ति करेगा।
न्यायमूर्ति जेबी पारडीवाला और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ APJ अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ डिजिटल साइंसेज, इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी में कुलपति नियुक्तियों को लेकर जारी विवाद पर सुनवाई कर रही थी।
पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी (राज्यपाल की ओर से पेश) और वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता (मुख्यमंत्री की ओर से) से कहा कि इस गतिरोध का कोई सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जाए।
वेंकटरमणी ने बताया कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता में गठित समिति ने दो सेट नाम सुझाए थे और राज्यपाल ने उनमें से दो नाम चुने हैं। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री को कुछ नामों पर आपत्ति है। कुछ नाम सामान्य भी हैं।”
उधर, गुप्ता ने कहा कि जो नाम मुख्यमंत्री को स्वीकार नहीं है, वही नाम राज्यपाल को स्वीकार्य है। उन्होंने जवाब दिया, “मुझे लगता है कि इस मामले का समाधान इस कोर्ट को ही करना पड़ेगा।”
न्यायमूर्ति पारडीवाला ने कहा कि धूलिया समिति ने दोनों विश्वविद्यालयों के लिए चार-चार नाम सुझाए हैं और राज्यपाल व मुख्यमंत्री दोनों बैचों में से सबसे योग्य उम्मीदवारों को चुन सकते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया, “मंगलवार तक सहमति बना लें, अन्यथा हम खुद कुलपति नियुक्त करेंगे और मामला खत्म कर देंगे।” अब सुनवाई गुरुवार को होगी।
28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल द्वारा धूलिया समिति की रिपोर्ट पर विचार न करने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह “साधारण कागज का टुकड़ा नहीं है।” शीर्ष अदालत ने एक सप्ताह के भीतर निर्णय लेने और 5 दिसंबर को अवगत कराने का निर्देश दिया था।
18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को सुलझाने के लिए न्यायमूर्ति धूलिया को पैनल प्रमुख नियुक्त किया था ताकि दोनों विश्वविद्यालयों के लिए नामों की शॉर्टलिस्टिंग हो सके।
APJ अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के शिवप्रसाद की कुलपति के रूप में नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार ने विवाद खड़ा किया था। अधिसूचना में उल्लेख था कि नियुक्ति “अगले आदेश तक” रहेगी, जबकि APJ अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी अधिनियम, 2015 की धारा 13(7) स्पष्ट करती है कि यह अवधि “कुल मिलाकर छह महीने से अधिक नहीं हो सकती।”
इसके पहले, राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन देकर कुलपति चयन प्रक्रिया से मुख्यमंत्री को बाहर रखने की माँग की थी, यह कहते हुए कि इन दोनों विश्वविद्यालयों के अधिनियम में मुख्यमंत्री की भूमिका का प्रावधान नहीं है।
अब सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दे दिया है कि यदि सरकार और राज्यपाल इस विवाद को सुलझाने में असमर्थ रहे, तो अदालत खुद हस्तक्षेप कर नियुक्ति प्रक्रिया को अंतिम रूप देगी।

