सुप्रीम कोर्ट में सभी धर्म समुदायों के लिए तलाक और गुजारा भत्ता का एक समान कानून लागू करने की मांग वाली याचिकाओं पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर कहा की इस तरह की मांगों का पर्सनल लॉ पर असर होगा।
कोर्ट में बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय द्वारा दायर दो अलग अलग जनहित याचिकाओं में उल्लेख है कि सभी धर्मों की महिलाओं के साथ एक समान व्यवहार करना चाहिए । और यदि कुछ धार्मिक प्रथाओं ने उनको मौलिक अधिकारों से वंचित किया है तो ऐसी कुप्रथाओ को खत्म किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमे इस मसले पर सावधानी पूर्वक विचार करना होगा। आप हमें उस दिशा में ले जा रहे हैं जो पर्सनल लॉ पर अतिक्रमण करेगा। और पर्सनल लॉ जिस उद्देश्य के लिए है उसे ध्वस्त करेगा।
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सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता पिंकी यादव और मीनाक्षी अरोड़ा ने अपनी दलीलें देते हुए कहा कि तलाक और गुजारा भत्ता मामले में अलग अलग धर्मों में विभेद है। और इस मतभेद को खत्म किया जाना चाहिए । जब कोर्ट की पीठ ने पूछा ” क्या हम व्यक्तिगत कानूनों में प्रवेश किये बगैर इन भेदभावपूर्ण तलाक आधारों को हटा सकते हैं?” इस पर अधिवकताओ ने शायरा बानो के फैसले का हवाला दिया। जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक घोषित किया था।
सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई एस ए बोवड़े और जस्टिस एएस बोपन्ना और वी राम सुब्रमण्यम ने कहा कि हम सतर्क नोटिस जारी कर रहे हैं क्योंकि इस तरह की मांग का पर्सनल लॉ पर असर होगा।