सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार 18 नवंबर 2020 को कहा कि दिल्ली की एक मस्जिद में कोरोना काल गाइडलाइंन को तोड़ कर जुटी तब्लीगी जमात की भीड़ की मीडिया कवरेज से जुड़े मामलों में टीवी चैनलों पर हुई कार्यवाई पर सरकार मूकदर्शक बनी है।
कोर्ट ने इस प्रकरण में रेगुलेटरी मैकेनिज़्म की आवश्यकता पर जोर दिया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबड़े ने कहा कि केन्द्र सरकार की कार्यवाई और टीवी चैनलों को रेगुलेट करने के मामले में अधिकारों को लेकर शांत क्यों है। यदि कोई रेगुलेटरी मैकेनिज़्म नही है जो इसे तैयार कर सके नही तो हम इसे बाहरी एजेंसी को सौंप देंगे।विनिमयन(रेगुलेशन) को न्यूज़ ब्रोडकास्ट एसोसिएशन के पास नही छोड़ा जा सकता। आगे कहा कि इस मामले पर सरकार की और से बीते कई सप्ताहों से प्राप्त हलफनामों से असंतुष्ट हैं।
मंगलवार की सुनवाई उस घटना के बाद चालू हुई जब हाई कोर्ट ने जूनियर अफसर को भेजने के लिए केन्द्र सरकार को जमकर फटकार लगाते हुए इसे बेशर्म और आक्रामक प्रतिक्रिया बताया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोवड़े की अगुवाई वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि आपने पहले सही तरीके से एफेडेविट जमा नही किया उसके बाद ऐसा एफेडेविट सौंपा जो दो अहम प्रश्नों का समाधान नही करता है। हम आपके जवाबों से संतुष्ट नही है। मौन पूछा था कि क्या कार्यवाही हुई लेकिन आपके एफेडेविट में इस बात का कोई जिक्र नही ।
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सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हमे आप बताएं कि आपकी मौजूदा कानून व्यवस्था क्या है। आप मे कोई बात नही बताई।इस पर तुषार मेहता ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक नया एफेडेविट प्रस्तुत किया जाएगा।