ताज नगरी आगरा से बेहद अच्चम्भित कर देने वाला मामला प्रकाश में आया है। 2 दिन की मासूम बच्ची बीते पांच वर्ष से लापता है।
पुलिस रिकॉर्ड की माने तो 2 दिन की यह बच्ची घर मे बिना बताए कहीं चली गई है। पुलिस ने गुमशुदगी की धारा में एफआईआर दर्ज कर ली है। आपको उपरोक्त पंक्ति पर हैरानी हो रही होगी ,लेकिन यह हकीकत है।
पुलिस ने अपने रिकॉर्ड में दर्ज किया है कि दो दिन की बच्ची खुद चलकर कहीं चली गई है और उससे ज्यादा चौकने की बात यह है कि बच्ची बिना कुछ घरवालों को बताए चली गई है। इससे साफ है कि यूपी पुलिस की नज़र में 2 दिन की बच्ची बातचीत कर सकती है।
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वर्ष 2010 से लेकर 31 जुलाई 2020 तक का आगरा पुलिस का रिकॉर्ड बताता है कि 41 नाबालिग लड़के लड़कियाँ ऐसे है जो 10 वर्ष से गुमशुदा है। जिनमे एक या दो बालिग भी है।
पूरे आंकड़ों पर गौर किया जाय तो ज्ञात होता है कि 47 में से 37 केस ऐसे हैं जिनमे गुमशुदा बच्चे बिना बताए हुए घर से चले गए है। पुलिस ने 2 दिन की बच्ची को भी बता डाला कि वह बिना बताए घर से कहीं चली गई है।
हॉस्पिटल से गायब बच्ची को पुलिस ने बताया घर से चली गई-
2 दिन की यह बच्ची जिला महिला अस्पताल से गायब हो गई थी । जिसकी जानकारी एमएम गेट पुलिस स्टेशन को दी गई थी। जहाँ पुलिस ने गुमशुदगी में रिपोर्ट दर्ज कर ली थी।
जबकि पीड़ित परिवार शाहगंज थाना क्षेत्र का रहने वाला है। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि जब 2 दिन की बच्ची घर से बिना बताए चली गई है तो केस शाहगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज होना चाहिए था। फिर इसे कोसों दूर एम एम पुलिस स्टेशन में क्यों दर्ज किया।
एक्सपर्ट की राय-
चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट एवं ‘महफूज सुरक्षित बचपन’ के को- ऑर्डिनेटर नरेश पारस ने कहा कि छोटे बच्चों के गुम होने के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंन है कि 24 घंटे के अंदर किडनेपिंग की रिपोर्ट दर्ज होनी चाहिए। ऐसे मामलों में बच्चों के लापता होने के पीछे के सही कारण लिखे जाने चाहिए। जिससे कभी भी ऐसे मामलों पर रिसर्च हो तो असली कारणों को ध्यान देते हुए रोकथाम के उपाय किये जा सकें।