सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के अजीबोगरीब फैसले पर रोक लगा दी है ।जिसमे एक 20 वर्षीय युवक को लड़की को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया है। कानून के तहत जिस उम्र में विवाह नही हो सकता ,उसके बावजूद एक नही बल्कि 2 अदालतों ने ऐसा आदेश दिया है। इस आदेश से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोवड़े भी अचरज में पड़ गए हैं। चीफ जस्टिस ने अपनी पीठ के तीन सदस्यों से भी इस मामले को लेकर विचार विमर्श किया है।
गौरतलब है कि अधिवक्ता रचिता प्रियंका राय ने कहा कि उनका मुवक्किल जब केवल 20 वर्ष का था। मार्च 2006 को गांव की रहने वाली लड़की के साथ भाग गया था। दोनों जमशेदपुर में एक साथ एक सप्ताह तक रहे। उसके बाद दोनों वापस अपने गांव आ गए। गांव की पंचायत ने दोनों की शादी कराने की भरसक कोशिश की ,लेकिन शादी नही हो सकी। इसके बाद लड़की ने प्रताड़ना और गुजारे भत्ते की मांग के लिए दो मुकदमे दर्ज कराए। लड़की ने कहा कि उसके लिव इन रिलेशन को शादी के संबंध के समान माना जाए।
आपको बताते चलें कि इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने लड़की की बातों को स्वीकारते हुए लड़के को प्रताड़ना के आरोप में एक वर्ष क़ैद की सजा सुनाते हुए लड़के को हर माह 5000 रुपए लड़की को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया । ट्रायल कोर्ट के इस आदेश को लड़के ने झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी ,जिसे हाई कोर्ट ने अपराधिक मुकदमा खत्म करते हुए, गुजारा भत्ता देने के आदेश को बरकरार रखा। एडवोकेट रचिता राय ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष हाई कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि कानूनन 20 वर्ष की आयु में कोई शादी नही कर सकता है। तो लड़की के साथ किसी भी संबंध को शादी के समान कैसे माना जा सकता है।