सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री कुँवर विजय शाह को भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ की गई विवादास्पद टिप्पणी पर सार्वजनिक माफ़ी न देने को लेकर कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि मंत्री का आचरण उनकी मंशा और सद्भावना पर संदेह उत्पन्न कर रहा है।
पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा, “आप अदालत की सहनशीलता की परीक्षा ले रहे हैं।” अदालत को यह भी खटका कि मंत्री ने अब तक ईमानदारी से माफी नहीं मांगी।
मंत्री की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने बताया कि शाह ने सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगी है और वह माफ़ीनामा ऑनलाइन उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि वह इसे अदालत के रिकॉर्ड पर भी लाएंगे।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (SIT) को 13 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत को बताया गया कि अब तक 87 लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं और SIT उनके बयानों की जांच कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता जया ठाकुर की वह याचिका सुनने से इनकार कर दिया जिसमें विजय शाह से इस्तीफे की मांग की गई थी। हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि याचिका में उठाए गए कुछ पुराने आरोपों की जांच तीन-सदस्यीय SIT द्वारा की जाएगी।
अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी।
यह मामला उस वीडियो से शुरू हुआ था जिसमें विजय शाह को कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए दिखाया गया था। यह वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से वायरल हुआ था। कर्नल कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान मीडिया ब्रीफिंग्स में शामिल होकर देशभर में सम्मान और पहचान प्राप्त कर चुकी हैं।
इससे पहले, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शाह की टिप्पणी को “अश्लील” करार देते हुए उन्हें “नाली के शब्दों” का उपयोग करने वाला बताया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस तरह की भाषा समाज में वैमनस्य फैलाने वाली है और पुलिस को उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था।
जनता में तीव्र आलोचना के बाद विजय शाह ने एक बयान जारी कर अफसोस जताया और कहा कि “मैं कर्नल सोफिया कुरैशी को अपनी बहन से भी अधिक सम्मान देता हूं।”