सुप्रीम कोर्ट ने सरदार सरोवर बांध से नर्मदा डाउनस्ट्रीम में पानी छोड़े जाने पर जानकारी मांगी

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को यह बताने का निर्देश दिया है कि क्या सरदार सरोवर बांध से नर्मदा नदी के निचले इलाकों में पर्याप्त पानी छोड़ने का मुद्दा नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण को भेजा गया है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से चार सप्ताह के भीतर मामले की जानकारी देने को कहा।

पीठ ने पोस्ट करते हुए कहा, “प्रतिवादी के वकील ने यह निर्देश देने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा है कि क्या मामला नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण को भेजा गया था, और यदि हां, तो इसका परिणाम क्या होगा।” मामले की सुनवाई 12 जनवरी 2024 को होगी।

Video thumbnail

शीर्ष अदालत नर्मदा प्रदूषण निवारण समिति और भरूच नागरिक परिषद द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 2019 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि मामले पर फैसला करने के लिए पहले से ही एक ट्रिब्यूनल है।

READ ALSO  छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने विधायक के रूप में उनके चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर पूर्व सीएम बघेल को नोटिस जारी किया

एनजीटी ने कहा था कि नदी से संबंधित मुद्दों को देखने के लिए दो निकाय – जल विवाद न्यायाधिकरण और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण – पहले ही गठित किए जा चुके हैं।

याचिका में सरदार सरोवर बांध से नर्मदा नदी के निचले इलाकों में पर्याप्त पानी छोड़ने की मांग की गई थी।

Also Read

READ ALSO  दिल्ली हाईकोर्ट ने डीपफेक के तत्काल विनियमन पर जोर दिया, सत्य और विश्वास के लिए बढ़ते खतरे की चेतावनी दी

इसने सरदार सरोवर बांध से नदी के निचले इलाकों में दैनिक आधार पर 1,500 क्यूसेक पानी छोड़ने के लिए तत्काल प्रावधान करने का निर्देश देने की भी मांग की थी।

इसमें दावा किया गया कि नदी तल के सूखने से पर्यावरण, कृषि और स्थानीय उद्योगों को भारी नुकसान हो रहा है।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि नदी एक छोटी धारा में सिमट गई है क्योंकि बांध से केवल 600 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।

READ ALSO  मुकदमे के दौरान जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया गया था तो स्वतः सजा का निलंबन और जमानत का हक़ नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

याचिका में नर्मदा और जल संसाधन, जल आपूर्ति और कल्पसार विभाग द्वारा लिखे गए एक पत्र का हवाला दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि नदी के निचले क्षेत्रों के लिए छोड़ा गया पानी पर्याप्त नहीं था और तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता थी।

Related Articles

Latest Articles