भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस विवादास्पद फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें किशोर लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं को नियंत्रित करने की सलाह दी गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने नाबालिग से बलात्कार के आरोपी एक व्यक्ति की सजा को बहाल कर दिया, जिसे पहले हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
हाईकोर्ट ने किशोर लड़कियों को दी गई सलाह पर कड़ी आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट की टिप्पणियों पर स्वतः संज्ञान लिया। हाईकोर्ट के फैसले, जिसने जिम्मेदारी का कुछ हिस्सा पीड़िता पर डाल दिया था, की व्यापक आलोचना हुई और इसे प्रतिगामी और असंवेदनशील माना गया।
मामले की सुनवाई मंगलवार को न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने की। अपने फैसले में जस्टिस ओका ने कहा, “हमने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के तहत दोषसिद्धि को बहाल कर दिया है। समिति सजा पर फैसला करेगी। हमने राज्यों को निर्देश जारी किए हैं…”
जस्टिस ओका ने यह भी उल्लेख किया कि मामले को किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) को भेजा जाना चाहिए। “हमने पहले संकेत दिया था कि निर्णय कैसे तैयार किए जाने चाहिए। सभी राज्यों को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम की धारा 19(6) को लागू करने का निर्देश दिया गया है। इसके अतिरिक्त, मामले की देखरेख के लिए तीन विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है,” उन्होंने कहा।