सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: युवा वकील नहीं सीखना चाहते कोर्ट क्राफ्ट, ‘मामला पढ़ना 30% है, बाकी 70% आचरण है’

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को युवा वकीलों के अदालत में व्यवहार को लेकर गहरी चिंता जताई। न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी कोर्ट क्राफ्ट सीखने में रुचि नहीं दिखा रही है और केवल मामले पढ़ने को ही पर्याप्त समझ रही है।

यह टिप्पणी उस समय की गई जब एक युवा वकील अदालत का आदेश पढ़े जाते समय बहुत ही सामान्य तरीके से वहां से जाने लगीं। सुनवाई के दौरान वकील ने अदालत को बताया कि स्थगन के लिए पत्र प्रस्तुत किया गया है। लेकिन जैसे ही पीठ ने आदेश पढ़ना शुरू किया, वह अदालत कक्ष से जाने लगीं।

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इस पर असंतोष व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा,
“युवा पीढ़ी अदालत के तौर-तरीके नहीं सीखना चाहती। मामलों को पढ़ना केवल 30 प्रतिशत है, बाकी 70 प्रतिशत अदालत के आचरण से जुड़ा होता है।”

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इस संदर्भ में एक और मामला दिल्ली की तीस हजारी अदालत में मार्च में सामने आया, जहाँ एक वादी सुशील कुमार को वर्चुअल सुनवाई के दौरान सिगरेट पीते हुए देखा गया। अतिरिक्त जिला जज शिव कुमार इस मामले की सुनवाई कर रहे थे।

आदेश में कहा गया कि जब अन्य मामलों की सुनवाई हो रही थी, उस दौरान भी सुशील कुमार को फोन पर बात करते हुए देखा गया था, और उन्हें चेतावनी दी गई थी कि ऐसा न करें, क्योंकि इससे अदालत की कार्यवाही में बाधा आती है। बावजूद इसके उन्होंने निर्देशों की अनदेखी की, जिसके बाद उनका ऑडियो म्यूट कर दिया गया।

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जब उनके मामले की सुनवाई शुरू हुई, तो कोर्ट ने उनके व्यवहार पर सवाल उठाया। इस पर उन्होंने माफी मांगी और भविष्य में ऐसा न करने का वादा किया।

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