सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से उस जनहित याचिका (PIL) पर जवाब मांगा है, जिसमें ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन (AIBE) के ₹3,500 शुल्क को चुनौती दी गई है।
यह याचिका Sanyam Gandhi v. Union of India शीर्षक से दायर की गई थी, जिसे न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने सुना। पीठ ने नोट किया कि याचिकाकर्ता को पहले ही सलाह दी गई थी कि वह इस विषय पर पहले BCI से संपर्क करें और उसके बाद ही अदालत का रुख करें।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि AIBE के लिए BCI द्वारा निर्धारित शुल्क मनमाना है और यह Gaurav Kumar v. Union of India मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित उस सिद्धांत का उल्लंघन करता है, जिसमें राज्य बार काउंसिलों और BCI द्वारा लिए जाने वाले नामांकन शुल्क की सीमा तय की गई थी। याचिका में कहा गया कि AIBE की फीस भी न्यायिक समीक्षा की मांग करती है, क्योंकि यह नवोदित वकीलों पर आर्थिक बोझ डालती है और उनके वकालत के अधिकार को प्रभावित कर सकती है।
इससे पहले फरवरी में, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। उस समय न्यायमूर्ति पारदीवाला ने टिप्पणी की थी:
“आप चाहते हैं कि बार काउंसिल जीवित रहे या नहीं? हमने पहले ही उसके हाथ-पैर काट दिए हैं। उन्हें भी अपने कर्मचारियों को वेतन देना होता है। जब आप ₹3,500 देंगे, तो बाद में ₹3,50,000 भी कमाएंगे।”
तब पीठ ने यह भी स्पष्ट किया था कि AIBE शुल्क का मामला Gaurav Kumar मामले में उठाए गए नामांकन शुल्क के मुद्दे से अलग है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को BCI को प्रत्यक्ष रूप से अभ्यावेदन देने की सलाह दी थी और कहा था कि यदि संतोषजनक उत्तर नहीं मिले तो वे दोबारा अदालत का रुख कर सकते हैं।
याचिकाकर्ता ने बाद में BCI को अभ्यावेदन दिया, लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। इसे ध्यान में रखते हुए, अब सुप्रीम कोर्ट ने औपचारिक रूप से BCI से याचिका पर जवाब मांगा है।