किसान आंदोलन (Farmer Protest) का आज 40 वां दिन है अब भी किसान कड़ाके की ठंड में भी नए कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद पर अड़े हुए हैं। आंदोलन के शुरुआती दौर में हरियाणा से दिल्ली की तरफ कूच किये किसानों पर वाटर केनन और लाठीचार्ज का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुँच गया है।
सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड डियूटीज़ ,पंजाब यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों द्वारा भेजे गए पत्र को कोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए स्वतः संज्ञान में लेकर सुनवाई करने का फैसला लिया है।
छात्रों द्वारा लिखी गए पत्र में हरियाणा सरकार द्वारा किसान आंदोलनकारियों के मानवाधिकार के उलंघन का आरोप लगाया गया है। जिसमे पुलिस ने किसानों पर वाटर केनन और लाठीचार्ज का प्रयोग किया था।
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बीते 2 दिसम्बर को छात्रों ने सीजेआई एसए बोवड़े व अन्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे किसानों पर वाटर केनन और लाठीचार्ज एवं आंसू गैस के गोले का अवैध रूप से इस्तेमाल के संबंध में हरियाणा पुलिस की जांच कराने के निर्देश मांगे थे। और हरियाणा और दिल्ली पुलिस द्वारा बेकसूर किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने के आदेश देने की भी अपील की है।
जो राजनीतिक प्रतिशोध के कारण दर्ज किए गए थे। छात्रों ने अपनी चिट्ठी में प्रदर्शनकारियों की अवैध हिरासत के मामलों को देखने का आदेश मांगा है। समस्त किसान प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को निर्देशित करने के लिए कहा गया है और प्रदर्शन स्थल पर बुजुर्गों ,महिलाओं और बच्चों के लिए मोबाईल टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की गई है।