सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि गुजरात की नेशनल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (NFSL) की रिपोर्ट के अनुसार वे कथित ऑडियो क्लिप्स, जिनमें पूर्व मणिपुर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की भूमिका को लेकर आरोप लगाए गए थे, “छेड़छाड़ की गई” हैं।
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक आराध्य की पीठ ने कहा कि NFSL की रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि क्लिप्स में एडिटिंग और टैंपरिंग के संकेत मिले हैं और वे वैज्ञानिक दृष्टि से वॉयस कंपेरिजन के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
पीठ ने कहा, “परिणामस्वरूप यह राय नहीं दी जा सकती कि सवाल में उठाए गए और नियंत्रित क्लिप्स के वक्ताओं की आवाज़ें समान हैं या नहीं।”
अदालत ने कहा कि NFSL की रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तुत की गई ऑडियो क्लिप्स मूल रिकॉर्डिंग नहीं हैं और इनमें परिवर्तन किए गए हैं, जिससे यह तय करना संभव नहीं कि आवाज़ पूर्व मुख्यमंत्री की है या नहीं।
याचिकाकर्ता कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (KOHUR) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आग्रह किया कि रिपोर्ट की प्रति सभी पक्षों को दी जाए ताकि वे जवाब दाखिल कर सकें। सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि रिपोर्ट की प्रतियां सभी पक्षों को उपलब्ध कराई जाएं और अगली सुनवाई 8 दिसंबर को तय की।
भूषण ने अदालत को बताया कि एक अन्य फॉरेंसिक रिपोर्ट में एक रिकॉर्डिंग को बिना एडिट पाए जाने की बात कही गई थी। इस पर पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, “हमने NFSL की रिपोर्ट के निष्कर्ष साझा किए हैं, जिनमें स्पष्ट कहा गया है कि विवादित रिकॉर्डिंग में छेड़छाड़ की गई है।” इस पर मेहता ने कहा, “अब वहां (मणिपुर में) स्थिति काफ़ी शांतिपूर्ण है।”
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 19 अगस्त को सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (CFSL) की जांच पर असंतोष जताते हुए कहा था कि उसकी जांच “गलत दिशा” में जा रही है। इसके बाद अदालत ने 25 अगस्त को मामले को गांधीनगर स्थित NFSL को सौंप दिया था, ताकि यह जांचा जा सके कि रिकॉर्डिंग्स में किसी तरह का संशोधन या छेड़छाड़ की गई है या नहीं, और क्या विवादित आवाज़ें मिलती-जुलती हैं।
5 मई को अदालत ने राज्य सरकार से फॉरेंसिक रिपोर्ट पर नई स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
KOHUR की याचिका में मांग की गई है कि 2023 में मणिपुर में हुई जातीय हिंसा के मामले में एक स्वतंत्र विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाए। इस हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
हिंसा की शुरुआत मई 2023 में तब हुई जब पहाड़ी जिलों में ‘जनजातीय एकजुटता मार्च’ निकाला गया था, जो मणिपुर हाईकोर्ट के उस आदेश के विरोध में था जिसमें मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) दर्जा देने की मांग पर विचार करने को कहा गया था।
KOHUR ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कुकी-बहुल इलाकों में हिंसा “भड़काने और संगठित करने” में केंद्रीय भूमिका निभाई। सिंह ने इन आरोपों से इनकार किया था और उन्होंने 9 फरवरी 2025 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले CFSL से सीलबंद लिफ़ाफ़े में रिपोर्ट मांगी थी और 8 नवम्बर 2024 को KOHUR को निर्देश दिया था कि वह ऑडियो क्लिप्स की प्रामाणिकता साबित करने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करे।
अब मामला 8 दिसंबर को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।




