लंबे समय से जारी देरी पर कड़ा रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया कि वे एक महीने के भीतर केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) की जम्मू पीठ के सुचारु संचालन के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराएं।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम पामचोली की पीठ 2020 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह याचिका अचल शर्मा ने दाखिल की थी, जिसमें CAT जम्मू में पर्याप्त स्थान और स्टाफ की कमी को लेकर शिकायत की गई थी, जिसके कारण न्यायाधिकरण का कामकाज प्रभावित हो रहा है।
पीठ ने देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मौजूदा रफ्तार से काम चला तो CAT के लिए अपना स्थान सुनिश्चित करने में वर्षों लग जाएंगे। अदालत ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा, “केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश को CAT के संचालन के लिए खुला स्थान यथाशीघ्र, लेकिन एक महीने से अधिक देर नहीं करते हुए, उपलब्ध कराना होगा।”
अदालत ने यह भी नोट किया कि पहले CAT को एक निजी भवन में स्थानांतरित करने का प्रयास किया गया था, लेकिन उस भवन के स्वामित्व को लेकर विवाद के चलते यह योजना विफल हो गई। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि अब जम्मू विकास प्राधिकरण के स्वामित्व वाले एक भवन की पहचान कर ली गई है, जहां CAT को स्थानांतरित किया जा सकता है। इस पर पीठ ने कहा कि इस दिशा में तत्काल कदम उठाए जाएं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने CAT जम्मू के लिए स्थायी भवन की आवश्यकता पर भी जोर दिया। पीठ ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया कि वे जम्मू में स्थायी भवन के निर्माण के लिए उपयुक्त स्थल की पहचान करें और तीन महीने के भीतर इस संबंध में आवश्यक कदम उठाएं। अदालत ने इस मामले में अगली प्रगति रिपोर्ट अगले वर्ष फरवरी के अंत तक दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने न्यायिक और अर्ध-न्यायिक संस्थाओं में आउटसोर्स स्टाफ की नियुक्ति पर भी चिंता जताई। अदालत ने मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की पूर्व टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा था कि ऐसे संस्थानों में रिकॉर्ड के रखरखाव, गोपनीयता और दस्तावेजों के नियमित अद्यतन जैसी जिम्मेदारियों को देखते हुए आउटसोर्स कर्मचारियों की तैनाती उचित नहीं है। पीठ ने कहा था कि CAT के लिए उचित अदालत कक्ष, चैंबर, कार्यालय और नियमित स्टाफ के साथ एक स्थायी भवन अत्यंत आवश्यक है।
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि फिलहाल रिक्त पदों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरा जा रहा है, हालांकि पीठ इस व्यवस्था से संतुष्ट नहीं दिखी।
गौरतलब है कि CAT जम्मू में बुनियादी ढांचे की कमी का मुद्दा पहले भी सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आ चुका है। अगस्त पिछले वर्ष अदालत ने वहां की खराब सुविधाओं पर चिंता जताते हुए न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य को आवश्यकताओं पर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। तब अदालत ने यह भी कहा था कि सहायक स्टाफ की कमी के कारण CAT का रोजमर्रा का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

