सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली स्थित लोधी कालीन स्मारक ‘गुमटी ऑफ़ शेख अली’ के परिसर में बने पार्क का उपयोग बैडमिंटन या बास्केटबॉल कोर्ट जैसे निर्माण कार्यों के लिए न किए जाने का निर्देश दिया है।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि पार्क को केवल प्राकृतिक सौंदर्य बनाए रखने और आम जनता के उपयोग के लिए संरक्षित रखा जाएगा। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि स्मारक क्षेत्र में किसी भी प्रकार की वाणिज्यिक गतिविधि, जैसे कि दुकानें या स्टॉल, नहीं लगाई जाएंगी।
शीर्ष अदालत ने पहले ही दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वह ‘गुमटी ऑफ़ शेख अली’ को एक संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए एक नया अधिसूचना जारी करे, ताकि इसे प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल तथा अवशेष अधिनियम, 1958 (AMASR अधिनियम) के तहत संरक्षण प्राप्त हो सके।

कोर्ट ने अपने 31 जुलाई के आदेश में कहा, “एकमात्र निर्देश जो इस स्तर पर दिया जाना आवश्यक है, वह यह है कि इस पार्क का कोई अन्य उद्देश्य से उपयोग न किया जाए और बैडमिंटन या बास्केटबॉल कोर्ट जैसे निर्माण कार्य नहीं किए जाएं, क्योंकि यह क्षेत्र सीमित है।”
कोर्ट ने स्मारक और पार्क के रख-रखाव तथा सौंदर्यीकरण के लिए कोर्ट कमिश्नर को संबंधित विभागों, विशेष रूप से बागवानी विभाग के साथ समन्वय करने का निर्देश भी दिया है।
यह मामला तब सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट ने डिफेंस कॉलोनी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 1960 के दशक से गुमटी परिसर में किए गए अवैध कब्जे को खाली करने और मुआवजे के रूप में पुरातत्व विभाग को ₹40 लाख भुगतान करने का निर्देश दिया।
याचिका डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 2019 में याचिका खारिज किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। याचिका में गुमटी को संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में लगातार निर्देश दे रहा है ताकि अतिक्रमण हटाया जा सके और स्मारक व उसके आस-पास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण सुनिश्चित किया जा सके।
AMASR अधिनियम के तहत संरक्षित स्मारकों को कानूनी संरक्षण प्राप्त होता है, जिससे न केवल उनके संरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित होती है बल्कि उनके आस-पास अनधिकृत निर्माण, खुदाई या क्षति पहुंचाने वाली गतिविधियों पर भी रोक लगाई जाती है।
मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी।