इंदौर की स्वर्गीय शाह बानो बेगम की बेटी ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर फिल्म ‘हक़’ की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि यह फिल्म उनकी मां के निजी जीवन की घटनाओं को गलत तरीके से पेश करती है और परिवार की अनुमति लिए बिना बनाई गई है।
यह फिल्म, जिसका निर्देशन सुपर्ण एस. वर्मा ने किया है, 7 नवंबर (शुक्रवार) को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली है। फिल्म में इमरान हाशमी और यामी गौतम धर मुख्य भूमिकाओं में हैं और बताया जा रहा है कि यह शाह बानो केस से प्रेरित है।
याचिकाकर्ता सिद्दीक़ा बेगम ख़ान की ओर से अधिवक्ता तौसीफ़ वारसी ने बताया कि सोमवार को याचिका हाईकोर्ट की इंदौर पीठ में पहली बार सूचीबद्ध हुई। इसमें वादी और प्रतिवादी दोनों पक्षों के वकील पेश हुए। संक्षिप्त सुनवाई के बाद अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख मंगलवार (4 नवंबर) तय की है।
शाह बानो इंदौर की निवासी थीं। उन्होंने वर्ष 1978 में अपने वकील पति मोहम्मद अहमद ख़ान से तलाक़ के बाद गुज़ारा भत्ता पाने के लिए स्थानीय अदालत में मुकदमा दायर किया था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने निर्णय दिया था कि मुस्लिम महिलाएं भी अन्य धर्मों की महिलाओं की तरह आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत भरण-पोषण पाने की हकदार हैं।
यह फैसला देश में महिला अधिकारों और समानता की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ, लेकिन इसके बाद कई मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया। विरोध के चलते तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने 1986 में “मुस्लिम महिला (तलाक़ के पश्चात अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम” पारित किया, जिसने सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले को निष्प्रभावी कर दिया।
शाह बानो का निधन वर्ष 1992 में हो गया था, लेकिन उनका केस आज भी भारतीय पारिवारिक कानून और महिलाओं के अधिकारों की बहस का महत्वपूर्ण प्रतीक बना हुआ है।
फिल्म ‘हक़’ को शाह बानो केस से “प्रेरित” बताया जा रहा है, लेकिन याचिकाकर्ता का कहना है कि इसमें उनकी मां के जीवन और घटनाओं को तोड़-मरोड़कर दिखाया गया है। अब यह फिल्म रिलीज़ हो पाएगी या नहीं, इसका फैसला मंगलवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर निर्भर करेगा।

                                    
 
        


