सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 69 वर्षीय वरिष्ठ वकील द्वारा ₹1.68 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया। वकील पर आरोप है कि उन्होंने ज़मीन के सौदे के नाम पर उक्त राशि ली और फिर वापस करने से इनकार कर दिया। अदालत ने इस आचरण को “चौंकाने वाला” बताते हुए तीखी टिप्पणी की और कहा कि केवल पैसे लौटाने की पेशकश से मामला सुलझाया नहीं जा सकता।
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा,
“यह सेटलमेंट का मामला नहीं है। आप वकील हो सकते हैं, लेकिन आपका आचरण निंदनीय है। आपको ट्रायल का सामना करना चाहिए और सज़ा मिलनी चाहिए।”
वरिष्ठ वकील आर. मणिकवेल ने मद्रास हाईकोर्ट के 30 अप्रैल 2024 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर और आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, मणिकवेल ने खुद को एक ज़मीन के वास्तविक मालिक का एग्रीमेंट होल्डर बताकर ₹3.25 करोड़ में सौदा तय किया। अलग-अलग किस्तों में उन्होंने शिकायतकर्ता से ₹1.68 करोड़ ले लिए, लेकिन कभी भी ज़मीन के असली मालिक से मुलाकात नहीं करवाई।
जब शिकायतकर्ता को संदेह हुआ और उन्होंने असली मालिक से मिलने की ज़िद की, तो मणिकवेल ने कहा कि यदि उन्हें भरोसा है तो बाकी रकम भी दे दें, वरना दी गई राशि वापस ले लें। शिकायतकर्ता ने पैसे वापस मांगे तो सिर्फ ₹40 लाख लौटाए गए।
बाद में पता चला कि ज़मीन की असली मालकिन ने वह संपत्ति अपने उत्तराधिकारियों को पहले ही ट्रांसफर कर दी थी। जब शिकायतकर्ता ने शेष राशि की मांग की तो मणिकवेल और उनके सहयोगी ने पैसे देने से इनकार कर दिया और धमकी दी।
इस पर 2011 में चेन्नई पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। पुलिस ने 2023 में चार्जशीट दाखिल की, जिसे एग्मोर मजिस्ट्रेट ने स्वीकार कर लिया। अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कार्यवाही रद्द करने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की,
“एक वरिष्ठ वकील ब्रोकिंग कर रहा है। वह अपने क्लर्क के माध्यम से ज़मीन के सौदे करवा रहा है। ₹1.68 करोड़ लिए और वापस करने से मना कर दिया। यह चौंकाने वाला है। उसने अपने इंटर्न, जो कि एक लॉ स्टूडेंट है, को भी इस काम में शामिल कर लिया। और यह सब कुछ एक वरिष्ठ वकील के चेंबर में हो रहा है।”
अदालत ने याचिका खारिज कर दी और ट्रायल जारी रखने का मार्ग प्रशस्त किया।