सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय के महिलाओं के पहनावे पर दिए गए बयान के खिलाफ एफआईआर की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय और अन्य के खिलाफ भद्दे कपड़े पहनने वाली महिलाओं पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी।

जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें इस तरह की टिप्पणी करने वाले लोगों से निपटने के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर एक तंत्र की मांग की गई थी।

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पीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता, दिल्ली निवासी अंजले पटेल और अन्य को बयान पर शिकायत है, तो वे निचली अदालत सहित किसी उपयुक्त मंच पर जा सकते हैं।

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भाजपा के महासचिव विजयवर्गीय ने 6 अप्रैल को कहा था कि “खराब कपड़े पहनने वाली” महिलाएं “शूर्पणखा” जैसी दिखती हैं। रामायण में शूर्पणखा राक्षस राजा रावण की बहन है।

इंदौर में एक समारोह में की गई उनकी टिप्पणियों को महिला समूहों ने विजयवर्गीय की तीखी आलोचना की, “सेक्सिस्ट और महिला विरोधी”।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता सत्य मित्रा ने भाजपा नेता के खिलाफ धारा 354 (महिला का शील भंग करना) और धारा 500 (मानहानि की सजा) के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की।

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उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान देने वालों से निपटने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए या तो केंद्र या राज्य स्तर पर या दोनों स्तर पर एक तंत्र होना चाहिए।

पीठ ने कहा कि हालांकि वह याचिका खारिज कर रही है, लेकिन यह नहीं समझा जाना चाहिए कि वह बयान को मंजूरी दे रही है।

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