सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए उन्नाव रेप केस में दोषी और निष्कासित भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के क्रियान्वयन को निलंबित (Stay) कर दिया है, जिसके तहत सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें जमानत दी गई थी।
यह आदेश भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्य कांत, न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने पारित किया।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दिल्ली हाईकोर्ट के 23 दिसंबर के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने सेंगर की अपील लंबित रहने के दौरान उनकी सजा को निलंबित करने और उन्हें जमानत देने का आदेश दिया था। जांच एजेंसी ने इस राहत का कड़ा विरोध करते हुए तर्क दिया कि दोषी को रिहा नहीं किया जाना चाहिए और हाईकोर्ट के आदेश पर तत्काल रोक लगाने की मांग की।
सोमवार को अवकाशकालीन पीठ (Vacation Bench) ने कड़ी सुरक्षा के बीच मामले की सुनवाई की। सीबीआई की दलीलों को सुनने के बाद, पीठ ने हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर रोक लगाने का निर्णय लिया। सुप्रीम कोर्ट के इस हस्तक्षेप का अर्थ है कि कुलदीप सिंह सेंगर को फिलहाल जेल में ही रहना होगा और उनकी रिहाई नहीं होगी।
यह मामला 2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक नाबालिग लड़की के साथ हुए दुष्कर्म से जुड़ा है, जिसने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया था। जांच के बाद कुलदीप सिंह सेंगर को इस जघन्य अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। आरोपों और बाद में हुई दोषसिद्धि के चलते उन्हें भारतीय जनता पार्टी (BJP) से निष्कासित कर दिया गया था।
हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में उनकी अपील पर सुनवाई पूरी होने तक सजा को निलंबित कर राहत दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि उनकी उम्रकैद की सजा फिलहाल प्रभावी रहेगी।

