सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी. सेन्थिल बालाजी को राहत देते हुए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लगाई गई दो कड़ी जमानत शर्तों को नरम कर दिया। अब उन्हें हर सोमवार और शुक्रवार चेन्नई स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के डिप्टी डायरेक्टर के कार्यालय में हाज़िरी लगाने की आवश्यकता नहीं होगी। अदालत ने कहा कि ईडी को यदि उनकी उपस्थिति चाहिए, तो पहले से नोटिस देकर बुलाया जाए और वह “जब-जब आवश्यक हो” तभी पेश हों।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की,
“यह व्यक्ति हर सोमवार और शुक्रवार ईडी के डिप्टी डायरेक्टर के सामने क्यों पेश हो? कम से कम अपने अधिकारी को ही इस परेशानी से बचा लें, जिसे सप्ताह में दो बार इनके आने का इंतज़ार करना पड़ता है।”
अदालत ने यह शर्त भी ढीली कर दी कि बालाजी को हर सुनवाई के दिन ट्रायल कोर्ट में उपस्थित रहना आवश्यक है। पीठ ने कहा कि यदि वे छूट की याचिका दायर करते हैं, तो ट्रायल कोर्ट उसे गुण-दोष के आधार पर विचार करेगा।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि ईडी की जांच पूरी हो चुकी है, आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है और सितंबर 2024 में जमानत मिलने के बाद बालाजी अब तक 116 बार ईडी के सामने पेश हो चुके हैं। “इस अवधि में न मैंने फरार होने की कोशिश की और न ही कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया,” उन्होंने दलील दी।
वहीं ईडी की ओर से पेश अधिवक्ता ज़ोहेब हुसैन और एक शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रणव सचदेवा ने इन शर्तों में ढील के विरोध में कहा कि पूर्व मंत्री प्रभावशाली व्यक्ति हैं और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका बनी रहती है।
सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर 2024 को बालाजी को 15 महीने की हिरासत के बाद यह कहते हुए जमानत दी थी कि इतने बड़े मामले में 2,000 से अधिक अभियुक्तों और 600 से अधिक गवाहों के चलते मुकदमे के शीघ्र समाप्त होने की संभावना नहीं है। अदालत ने यह भी कहा था कि लगातार हिरासत Article 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
बता दें कि ईडी ने 14 जून 2023 को पूर्व परिवहन मंत्री बालाजी को कथित ‘कैश-फॉर-डॉब्स स्कैम’ से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। ईडी ने 12 अगस्त 2023 को उनके खिलाफ 3,000 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया था।

