सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत शर्तों में दी ढील, हर सप्ताहांत घर जाने की अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत की शर्तों में संशोधन करते हुए उन्हें हर सप्ताहांत अपने घर जाने की सीमित अवधि की अनुमति दी है। न्यायालय ने मानवीय आधारों पर यह छूट दी, जिससे मिश्रा अपनी बीमार मां और स्कूली पढ़ाई कर रही बेटियों के साथ समय बिता सकें।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मिश्रा को प्रत्येक शनिवार शाम को लखीमपुर खीरी जाने और रविवार शाम तक वहीं रहने की अनुमति दी, इस शर्त के साथ कि वह हर रविवार शाम तक लखनऊ लौट आएंगे और सप्ताह के कार्यदिवसों में जिले में मौजूद नहीं रहेंगे।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर कर 25 जनवरी 2023 के आदेश में राहत मांगी थी, जिसमें उन्हें केवल सुनवाई के लिए ही लखीमपुर खीरी आने की अनुमति दी गई थी। याचिका में कहा गया कि उनकी मां की तबीयत खराब है और बेटियों की पढ़ाई का महत्वपूर्ण समय चल रहा है।

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कोर्ट ने पिछली शर्त में ढील देते हुए यह स्पष्ट किया कि मिश्रा को किसी भी सार्वजनिक सभा या राजनीतिक गतिविधि में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी। “यह दौरा केवल परिवार के साथ समय बिताने के लिए होगा,” पीठ ने कहा।

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साथ ही, पीठ ने इस मामले में धीमी गति से चल रही सुनवाई पर चिंता जताई, जहां अब तक सूचीबद्ध 208 गवाहों में से केवल 16—जिनमें 10 घायल चश्मदीद शामिल हैं—की ही गवाही हुई है। कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को अनावश्यक गवाहों को हटाने की अनुमति दी, विशेषकर एक ही परिवार के कई सदस्यों को गवाह बनाए जाने की स्थिति में। यह निर्णय पूरी तरह से लोक अभियोजक के विवेक पर छोड़ा गया।

पीठ ने कहा, “लोक अभियोजक गवाहों की सूची की समीक्षा कर यह तय करेंगे कि किन गवाहों को हटाया जा सकता है।” इससे पहले वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने बताया कि अभी भी 75 से अधिक चश्मदीद और कई अधिकारी गवाही देने बाकी हैं।

पीड़ितों की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आग्रह किया कि केवल महत्वपूर्ण गवाहों को ही प्राथमिकता दी जाए। हालांकि, मिश्रा के वकील सिद्धार्थ दवे ने पीड़ितों के इस प्रक्रिया में भाग लेने पर आपत्ति जताई, लेकिन अदालत ने यह कहते हुए आपत्ति खारिज कर दी, “आप यह उम्मीद नहीं कर सकते कि पीड़ित चुपचाप सब देखते रहें।”

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कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह रोजाना की सुनवाई की निगरानी नहीं कर रही है, बल्कि उद्देश्य केवल समयबद्ध न्याय सुनिश्चित करना है। पीठ ने कहा, “यह मत कहिए कि वह किसी पार्टी से है और वह किसी दूसरी पार्टी से। हमारा मकसद सिर्फ ट्रायल को गति देना है।”

मालूम हो कि आशीष मिश्रा पर 3 अक्टूबर 2021 को किसानों के प्रदर्शन के दौरान एसयूवी से उन्हें कुचलने का आरोप है, जिसमें चार किसान और एक पत्रकार की मौत हो गई थी। इसके बाद गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने काफिले के तीन अन्य लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। उस घटना में अलग मामला दर्ज है।

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मिश्रा को घटना के छह दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। जुलाई 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार किया था, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2023 में शर्तों के साथ मंजूर किया।

अब यह मामला जुलाई में अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, जहां सुप्रीम कोर्ट ट्रायल की प्रगति की निगरानी जारी रखेगा।

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