भीमा-कोरेगांव मामले में कार्यकर्ता वरवरा राव की जमानत शर्तों में ढील देने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 2018 के भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी कवि और कार्यकर्ता पी. वरवरा राव की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने जमानत की शर्तों में संशोधन की मांग की थी।

राव ने उस शर्त को हटाने की गुहार लगाई थी जिसके तहत उन्हें ग्रेटर मुंबई क्षेत्र से बाहर जाने के लिए ट्रायल कोर्ट से पूर्व अनुमति लेनी पड़ती है।

जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय विश्नोई की पीठ ने किसी भी ढील देने से असहमति जताई और मामला खारिज कर दिया। पीठ ने टिप्पणी की, “सरकार उनकी सेहत का ध्यान रखेगी या फिर आप उसी अदालत में जाइए, हमें इसमें दिलचस्पी नहीं है।”

Video thumbnail

वरवरा राव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने कहा कि 82 वर्षीय कवि की तबीयत लगातार बिगड़ रही है। उन्होंने बताया कि राव की पत्नी, जो पहले उनका ख्याल रखती थीं, अब हैदराबाद शिफ्ट हो चुकी हैं, जिससे मुंबई में उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मामले का ट्रायल जल्द खत्म होने की संभावना नहीं है।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कुमार को बिहार के सीएम पद से हटाने की मांग वाली याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त 2022 को राव को चिकित्सीय आधार पर जमानत दी थी। उस समय कोर्ट ने कहा था कि हालांकि आरोपपत्र दाखिल हो चुका है, कुछ आरोपी अब भी फरार हैं और आरोप तय करने की कार्यवाही शुरू नहीं हुई है। अदालत ने स्पष्ट किया था कि यह राहत केवल चिकित्सीय आधार पर दी गई है और यह किसी अन्य आरोपी के लिए नजीर नहीं होगी।

जमानत की शर्तों में यह भी शामिल था कि राव बिना अनुमति मुंबई नहीं छोड़ सकते, गवाहों से संपर्क नहीं कर सकते और इलाज के संबंध में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सूचित करना होगा।

तेलुगु कवि वरवरा राव को 28 अगस्त 2018 को हैदराबाद स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया गया था। यह मामला पुणे पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर से संबंधित है जिसमें भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धाराएं लगाई गई थीं।

READ ALSO  कलकत्ता हाईकोर्ट ने एनडीपीएस मामले में फर्जी मुक़दमा दर्ज करने पर मुआवजे का आदेश दिया

आरोप है कि 31 दिसम्बर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद में दिए गए भड़काऊ भाषणों के चलते अगले दिन कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी। पुलिस ने दावा किया था कि परिषद का आयोजन कथित तौर पर माओवादी विचारधारा से जुड़े लोगों ने किया था।

राव को पहले नजरबंद रखा गया, फिर उन्हें तलोजा जेल, महाराष्ट्र भेजा गया। 22 फरवरी 2021 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें चिकित्सीय आधार पर जमानत दी थी और मार्च 2021 में उनकी रिहाई हुई थी। अप्रैल 2022 में उनकी स्थायी जमानत की याचिका खारिज कर दी गई, हालांकि अस्थायी जमानत अवधि बढ़ा दी गई थी।

READ ALSO  न्यायमूर्ति आशीष जितेंद्र देसाई को गुजरात हाईकोर्ट  का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया

यह मामला अब एनआईए की जांच के अधीन है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles