सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की समय-सीमा बढ़ाने की मांग पर असदुद्दीन ओवैसी की याचिका दोबारा सूचीबद्ध करने पर सहमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की उस याचिका को दोबारा सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति दी जिसमें उन्होंने देशभर की सभी वक्फ संपत्तियों — जिसमें ‘यूज़र वक्फ’ (Waqf by user) भी शामिल हैं — के अनिवार्य पंजीकरण के लिए समय-सीमा बढ़ाने की मांग की है। यह पंजीकरण केंद्र सरकार के यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (यूएमईईडी) पोर्टल पर किया जाना है।

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष अधिवक्ता निज़ाम पाशा ने ओवैसी की ओर से तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह मामला पहले 28 अक्तूबर को सूचीबद्ध था, परंतु उस दिन सुनवाई नहीं हो सकी। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हम तारीख देंगे।”

READ ALSO  कोर्डेलिया रिश्वतखोरी मामला: मुंबई की अदालत ने आरोपी सैम डिसूजा को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया

अधिवक्ता पाशा ने दलील दी कि संशोधित वक्फ कानून के तहत संपत्तियों के पंजीकरण के लिए छह माह की समय-सीमा तय की गई थी, जो अब लगभग समाप्त होने वाली है। उन्होंने कहा, “छह महीने में से पाँच महीने तो निर्णय में बीत गए, अब केवल एक महीना शेष है।”

Video thumbnail

सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर के अंतरिम आदेश में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की कुछ विवादित धाराओं पर रोक लगाई थी, जिनमें वह प्रावधान भी शामिल था जिसके अनुसार केवल वे लोग वक्फ बना सकते हैं जो कम से कम पाँच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हों। हालांकि, शीर्ष अदालत ने पूरे कानून के प्रवर्तन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि किसी भी कानून को संवैधानिक रूप से वैध माना जाता है, जब तक कि उसे असंवैधानिक सिद्ध न किया जाए।

READ ALSO  अंग्रेजी नहीं आती तो नोटिस अंग्रेजी में क्यों लिखा? हाई कोर्ट ने इंस्पेक्टर से पूछा

अदालत ने यह भी कहा था कि केंद्र द्वारा संशोधित कानून में ‘वक्फ बाय यूज़र’ प्रावधान को हटाना प्रथमदृष्टया मनमाना नहीं है, और यह तर्क कि इससे सरकारें वक्फ की भूमि “कब्जा” कर लेंगी, “ठोस आधारहीन” है।

‘वक्फ बाय यूज़र’ वह स्थिति है जब कोई संपत्ति लंबे समय से धार्मिक या परोपकारी उपयोग में रही हो और बिना औपचारिक घोषणा के भी वक्फ के रूप में मान्यता प्राप्त कर लेती है।

केंद्र सरकार ने 6 जून को यूएमईईडी पोर्टल (UMEED Portal) शुरू किया था, जिसका उद्देश्य देशभर की वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना है। इसके तहत सभी वक्फ संपत्तियों का जियो-टैगिंग कर उन्हें छह माह के भीतर पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य किया गया है।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने नए लकड़ी आधारित उद्योगों को यूपी सरकार द्वारा लाइसेंस देने के फैसले को सही करार दिया

ओवैसी की याचिका में यह आग्रह किया गया है कि अदालत इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय दे, क्योंकि राज्य वक्फ बोर्डों और प्रबंध समितियों में से अधिकांश अदालत की कार्यवाही और अंतरिम आदेश के बाद हुई देरी के कारण निर्धारित समय में पंजीकरण पूरा नहीं कर सके।

अब यह मामला सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत की सूची में नई तारीख पर लगाया जाएगा।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles