सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में तेलंगाना विशेष खुफिया ब्यूरो (SIB) के पूर्व प्रमुख टी प्रभाकर राव को शुक्रवार सुबह 11:00 बजे तक पुलिस के सामने आत्मसमर्पण (surrender) करने का निर्देश दिया है। राव पिछली भारत राष्ट्र समिति (BRS) सरकार के दौरान हुए बहुचर्चित फोन टैपिंग और अवैध निगरानी मामले में मुख्य आरोपी हैं।
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने यह आदेश पूर्व खुफिया प्रमुख के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों की आगे की जांच को सुविधाजनक बनाने के लिए पारित किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने राव को पहले दी गई अंतरिम सुरक्षा को हटाते हुए स्पष्ट किया कि उन्हें जांच में सहयोग करना होगा। पीठ ने अपने आदेश में कहा, “हम याचिकाकर्ता को निर्देश देते हैं कि वह कल सुबह 11.00 बजे तक जुबली हिल्स पुलिस स्टेशन और जांच अधिकारी के समक्ष आत्मसमर्पण करें… कानून के अनुसार हिरासत में पूछताछ (custodial interrogation) की जाएगी।”
हालांकि, हिरासत में पूछताछ की अनुमति देते हुए भी शीर्ष अदालत ने राव के मानवीय अधिकारों का ध्यान रखा है। कोर्ट ने उन्हें हिरासत के दौरान घर का बना खाना और नियमित दवाइयां लेने की छूट दी है। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध की गई है।
सुनवाई के दौरान, तेलंगाना राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने जांच में आरोपी के सहयोग को लेकर गंभीर चिंताएं जताईं। लूथरा ने कोर्ट को बताया कि राव द्वारा उपलब्ध कराए गए डिजिटल सबूतों में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने दलील दी कि आरोपी द्वारा खोले गए आईक्लाउड (iCloud) खातों में “कोई डेटा नहीं है” और दिए गए ईमेल पते खुल ही नहीं रहे हैं।
यह दलील राज्य सरकार के उस आरोप के बाद आई है जिसमें कहा गया था कि कोर्ट के आदेश के बावजूद राव अपने आईक्लाउड खातों तक पहुंच नहीं दे रहे थे। इससे पहले, 29 मई को सुप्रीम कोर्ट ने राव को दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी, इस शर्त पर कि वह अपना पासपोर्ट प्राप्त करने के तीन दिनों के भीतर भारत लौटने का वचन दें।
टी प्रभाकर राव ने तेलंगाना हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। इस साल की शुरुआत में पूर्व एसआईबी प्रमुख के लिए कानूनी मुश्किलें तब बढ़ गईं जब 22 मई को हैदराबाद की एक अदालत ने फोन टैपिंग मामले में उनके खिलाफ उद्घोषणा आदेश (proclamation order) जारी किया।
इस आदेश के अनुसार, यदि राव 20 जून तक कोर्ट के समक्ष उपस्थित नहीं होते, तो उन्हें “भगोड़ा” (proclaimed offender) घोषित किया जा सकता था। ऐसी घोषणा कोर्ट को आरोपी की संपत्तियों को कुर्क करने का अधिकार देती है।
इस मामले के केंद्र में विशेष खुफिया ब्यूरो (SIB) के संसाधनों का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग करने का गंभीर आरोप है। पुलिस जांच में यह संकेत मिला है कि आरोपियों ने विभिन्न क्षेत्रों के नागरिकों को अवैध निगरानी में रखने की साजिश रची थी।
अभियोजन पक्ष का आरोप है कि आरोपियों ने अवैध रूप से कई व्यक्तियों की प्रोफाइल तैयार की और एक विशिष्ट राजनीतिक दल को लाभ पहुंचाने के लिए उनकी गुप्त रूप से निगरानी की। इसके अलावा, उन पर अपने अपराधों के सबूत मिटाने के लिए रिकॉर्ड नष्ट करने की साजिश रचने का भी आरोप है।
मार्च 2024 से अब तक, हैदराबाद पुलिस ने इस मामले में एसआईबी के एक निलंबित पुलिस उपाधीक्षक (DSP) सहित चार पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। इन पर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से खुफिया जानकारी मिटाने और अवैध फोन टैपिंग करने का आरोप है। बाद में इन अधिकारियों को जमानत दे दी गई थी।

