सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि ट्रिपल तलाक के मामले में पति के परिजनों और रिश्तेदारों को आरोपी नही ठहराया जा सकता यह कहते हुए याचिकाकर्ता सास को अग्रिम जमानत दे दी ।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी,की संयुक्त पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसे प्रकरण में अपराध करने वालों को अग्रिम जमानत देने पर कोई रोक नही है। लेकिन अग्रिम जमानत से पूर्व सक्षम अदालत द्वारा विवाहित मुस्लिम महिला द्वारा पक्ष को सुना जाना जरूरी है। इस मामले में शिकायतकर्ता महिला द्वारा अपनी सास को भारतीय दंड सहिंता की धारा 498A एंव 34 के अलावा मुस्लिम महिला अधिनियम के तहत आरोपी बनाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याची महिला शिकायतकर्ता की सास है तलाक देकर पति ने अपराध किया है ना कि उसकी माँ ने इसलिए सास को आरोपी नही बनाया जा सकता है।
केरल हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता महिला ने अग्रिम जमानत की गुहार लगाई थी। लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
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