वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें शाजिया इल्मी और इंडिया टुडे के पत्रकार के बीच हुए कथित विवाद का 18-सेकंड का वीडियो हटाने का निर्देश दिया गया था।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनीत सिंह अरोड़ा ने 4 अप्रैल को पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि उक्त वीडियो क्लिप शाजिया इल्मी की निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है और इसे ऑनलाइन नहीं रहने दिया जा सकता। अदालत ने यह निर्देश अगस्त 2024 में दिए गए अंतरिम आदेश की पुष्टि करते हुए जारी किया था। हालांकि, न्यायालय ने इल्मी पर कुछ ट्वीट्स छुपाने के लिए ₹25,000 की लागत भी लगाई थी।
राजदीप सरदेसाई ने अब इस आदेश को चुनौती दी है, यह आरोप लगाते हुए कि इल्मी ने तथ्यों को दबाया है। उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने आज न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति रेनू भटनागर की खंडपीठ के समक्ष इस मामले को उठाया।

राजीव नायर ने दलील दी कि एकल पीठ ने जो वीडियो देखा, वह पूर्ण नहीं था और मात्र ट्रंकेटेड (कटा हुआ) अंश था, जिस पर आधारित होकर अंतरिम आदेश पारित किया गया। हालांकि, पीठ ने मामले को अवकाश से ठीक पहले उठाए जाने पर आपत्ति जताई और सुनवाई जुलाई में करने का निर्णय लिया।
न्यायमूर्ति चावला ने टिप्पणी की, “यह आखिरी दिन क्यों लाया गया है? अब इसे जुलाई में सुना जाएगा।”
कोर्ट ने साथ ही सरदेसाई को एक पेनड्राइव के माध्यम से सभी प्रासंगिक वीडियो रिकॉर्ड प्रस्तुत करने की अनुमति दी।
मामला क्या है?
यह विवाद 26 जुलाई 2024 को इंडिया टुडे पर प्रसारित एक डिबेट से जुड़ा है, जिसे सरदेसाई ने होस्ट किया था और जिसमें शाजिया इल्मी को उनके घर से वर्चुअली शामिल किया गया था। चर्चा के दौरान जब रिटायर्ड मेजर जनरल यश मोर अग्निपथ योजना की आलोचना कर रहे थे, तब इल्मी ने बीच में हस्तक्षेप किया। सरदेसाई ने जवाब में कहा कि “जनरल साहब तथ्य रख रहे हैं,” जिसके बाद बहस गर्म हो गई और इल्मी ने कार्यक्रम छोड़ दिया।
उस रात इल्मी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया कि सरदेसाई ने उनका वॉल्यूम कम कर दिया और लिखा, “मुझे दोनों ओर का अनुभव है और ऐसे बुलियों से निपटना आता है…”
इसके जवाब में, अगले दिन सरदेसाई ने एक्स पर एक वीडियो साझा किया जिसमें उन्होंने दावा किया कि इल्मी ने इंडिया टुडे के पत्रकार से अभद्रता की, माइक फेंका और उन्हें घर से बाहर निकाल दिया।
इल्मी ने इसका विरोध करते हुए दावा किया कि जब उन्होंने शो छोड़ दिया तब भी पत्रकार ने उनकी अनुमति के बिना वीडियो रिकॉर्ड करना जारी रखा, जिससे उनकी निजता का उल्लंघन हुआ। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में मानहानि याचिका दायर की।
अगस्त 2024 में कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए सरदेसाई को अपने निजी सोशल मीडिया अकाउंट से वीडियो हटाने का निर्देश दिया था। यह आदेश 4 अप्रैल 2025 को स्थायी रूप से भी लागू किया गया।
एक्स (X) प्लेटफॉर्म से संबंधित घटनाक्रम
कोर्ट के निर्देशों के बावजूद, कई यूजर्स ने एक्स पर वीडियो साझा करना जारी रखा। अप्रैल 2025 में कोर्ट ने ऐसे यूजर्स के खिलाफ अवमानना के नोटिस जारी किए और एक्स कॉर्प को उनके बेसिक सब्सक्राइबर इंफॉर्मेशन (BSI) विवरण देने का निर्देश दिया।
एक्स ने इस आदेश में संशोधन की मांग करते हुए निजता संबंधी चिंता जताई, परंतु न्यायमूर्ति अरोड़ा ने हाल ही में इस याचिका को खारिज कर दिया और आदेश दिया कि 36 घंटे के भीतर संबंधित यूजर्स की जानकारी सौंपी जाए।
कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “यह देखकर हैरानी हुई कि लोग आदेश और वीडियो को एक साथ साझा कर रहे हैं। यह आदेश का उपहास था।”
हालांकि, एक्स के अनुरोध पर कोर्ट ने यह मुद्दा खुला रखा कि जिन यूजर्स की जानकारी मांगी गई है, उनकी निजता किस सीमा तक सुरक्षित रखी जाए। इस मुद्दे पर अगली सुनवाई 29 अगस्त को निर्धारित की गई है।