सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह राजनीतिक दलों के पंजीकरण और विनियमन के लिए नियम बनाए, जिससे धर्मनिरपेक्षता, पारदर्शिता और राजनीतिक न्याय को बढ़ावा मिल सके।
यह याचिका अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अधिवक्ता अश्वनी कुमार दुबे के माध्यम से दाखिल की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि नियम-कानूनों के अभाव में “फर्जी राजनीतिक दल” फल-फूल रहे हैं, जो बड़े पैमाने पर अपराधियों, अपहर्ताओं, ड्रग तस्करों और मनी लॉन्ड्रर्स को भारी रकम लेकर राष्ट्रीय और प्रांतीय पदाधिकारी नियुक्त कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया कि कई अलगाववादियों ने चंदा इकट्ठा करने के लिए अपने राजनीतिक दल बना लिए हैं और उनके कुछ पदाधिकारियों ने पुलिस सुरक्षा भी हासिल कर ली है।

एक हालिया मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिका में दावा किया गया कि आयकर विभाग ने एक “फर्जी” राजनीतिक दल का पर्दाफाश किया, जो 20 प्रतिशत कमीशन काटकर काले धन को सफेद बना रहा था।
याचिका में कहा गया, “राजनीतिक दल सार्वजनिक कार्य करते हैं, इसलिए उनके कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही आवश्यक है। चुनाव आयोग को उनके लिए नियम और विनियम तैयार करने चाहिए।”
इसमें आगे कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कई सुधारों की पहल कर सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा दिया है। ऐसे में राजनीतिक दलों के विनियमन को संवैधानिक दायरे में लाना लोकतांत्रिक ढांचे को और मजबूत करेगा।
वैकल्पिक रूप से याचिका में अदालत से आग्रह किया गया है कि वह भारत के विधि आयोग को निर्देश दे कि वह विकसित लोकतांत्रिक देशों की सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन कर राजनीतिक दलों के पंजीकरण और विनियमन पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करे, ताकि राजनीति में भ्रष्टाचार और अपराधीकरण को कम किया जा सके।
यह याचिका आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई के लिए ली जा सकती है।