पब्लिक कॉज़ कोर्ट के संज्ञान में आ जाने के बाद याचिकाकर्ता को पीआईएल वापस लेने का अप्रत्यक्ष अधिकार नहीं होता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका (PIL) को याचिकाकर्ता द्वारा वापस लेने के प्रयास को अस्वीकार कर दिया है, यह कहते हुए कि जब कोई जनहित से जुड़ा मामला अदालत के संज्ञान में आ जाता है, तो याचिकाकर्ता को उसे मनमाने ढंग से वापस लेने का अटल अधिकार नहीं होता। न्यायमूर्ति जे. जे. मुनीर की एकलपीठ ने यह आदेश छेदीलाल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य [पीआईएल संख्या 1375/2025] में पारित किया।

पृष्ठभूमि

यह याचिका छेदीलाल द्वारा दाखिल की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रतिवादी संख्या 5, केसर सिंह ने फतेहपुर जनपद के तहसील खागा अंतर्गत ग्राम रक्षपालपुर के कई गाटा नम्बरों—276, 294, 308, 292, 298, 299, 295 एवं 296—पर अवैध कब्जा कर रखा है। याचिका के अनुसार, ये सभी भूमि ग्रामसभा की हैं और खलिहान, खाद गड्ढा, एवं बंजर के रूप में दर्ज हैं।

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मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता वी.सी. श्रीवास्तव द्वारा याचिका वापस लेने का निवेदन किया गया, लेकिन अधिवक्ता इरफान अली, जो मूल अधिवक्ता अभिषेक कुमार पांडेय की ओर से उपस्थित थे, ने बताया कि याचिकाकर्ता को प्रतिवादी संख्या 5 द्वारा धमकी दी गई है, जो कि एक भू-माफिया है और उसके विरुद्ध फतेहपुर में हत्या के प्रयास, गुण्डा एक्ट, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और धमकी देने जैसे 16 आपराधिक मामले दर्ज हैं।

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न्यायालय की टिप्पणी

न्यायालय ने टिप्पणी की:

“याचिकाकर्ता को जनहित याचिका वापस लेने का अप्रतिरोध्य अधिकार नहीं होता। एक बार जब कोई जनहित से जुड़ा मामला इस न्यायालय के संज्ञान में आ जाता है, तो यदि याचिकाकर्ता उसे छोड़ देता है, तो न्यायालय उसे किसी अन्य जनहितकर्ता व्यक्ति को हस्तांतरित कर सकता है अथवा उसे स्वत: संज्ञान में लेकर आगे बढ़ा सकता है।”

न्यायालय के निर्देश

  • गृह सचिव, उत्तर प्रदेश शासन तथा पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश को इस याचिका में प्रतिवादी के रूप में सम्मिलित किया गया।
  • जिलाधिकारी, फतेहपुर और उपजिलाधिकारी, खागा को निर्देशित किया गया कि वे जांच कर 29 मई 2025 तक यह रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि क्या उपरोक्त गाटा संख्याएं वास्तव में ग्राम सभा अथवा सार्वजनिक उपयोग की भूमि हैं और क्या उन पर प्रतिवादी संख्या 5 द्वारा कब्जा किया गया है।
  • प्रतिवादी संख्या 5 की ओर से अधिवक्ता शरद चंद्र राय ने नोटिस स्वीकार किया और उन्हें अगली तारीख तक काउंटर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया, जिसमें उन्हें अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि तथा याचिकाकर्ता को धमकी दिए जाने के आरोपों का स्पष्ट उत्तर देना होगा।
  • यह आदेश मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, फतेहपुर के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर रजिस्ट्रार (अनुपालन) द्वारा प्रेषित किया जाएगा।
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मामले की अगली सुनवाई 29 मई 2025 को निर्धारित की गई है।

मामले का नाम: छेदीलाल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य
मामला संख्या: जनहित याचिका संख्या 1375 / 2025

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