इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ में जजों की कमी: अवध बार एसोसिएशन ने 39 नए न्यायाधीशों में से 15 को लखनऊ भेजने की मांग की

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में न्यायाधीशों की गंभीर कमी और बढ़ते मुकदमों के बोझ को लेकर अवध बार एसोसिएशन ने चिंता व्यक्त की है। एसोसिएशन ने उत्तर प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश को एक विस्तृत पत्र लिखकर वर्ष 2025 में नियुक्त हुए 39 नए न्यायाधीशों में से कम से कम 15 न्यायाधीशों को लखनऊ बेंच में तत्काल नामित करने की मांग की है, ताकि वादकारियों को समय पर न्याय मिल सके।

30 सितंबर, 2025 को एसोसिएशन के अध्यक्ष एस. चंद्रा और महासचिव ललित तिवारी द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र में, इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि न्यायाधीशों की कमी के कारण न्याय वितरण प्रणाली बुरी तरह प्रभावित हो रही है और वादकारियों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है।

पत्र के अनुसार, लखनऊ स्थित एशिया की सबसे बड़ी हाईकोर्ट बेंच में 56 कोर्ट रूम हैं, लेकिन न्यायाधीशों की संख्या काफी कम है। वर्तमान में, लखनऊ बेंच में केवल 19 माननीय न्यायाधीश कार्यरत हैं, जबकि लंबित मुकदमों और प्रतिदिन दायर होने वाले नए मामलों की संख्या बहुत अधिक है। एसोसिएशन ने बताया कि वर्ष 2025 में उत्तर प्रदेश में विभिन्न तिथियों पर कुल 39 नए न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई है, जिसमें 27 जनवरी को 6, 18 अप्रैल को 5, 7 अगस्त को 5, 3 सितंबर को 1, 8 सितंबर को 2 और 27 सितंबर को 24 न्यायाधीश शामिल हैं। हालांकि, इन नियुक्तियों में से अब तक एक भी न्यायाधीश को लखनऊ बेंच के लिए आवंटित नहीं किया गया है।

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बार एसोसिएशन के तर्क

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अवध बार एसोसिएशन ने अपने पत्र में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को उठाया है:

अत्यधिक कार्यभार: लखनऊ बेंच में कार्यरत माननीय न्यायाधीशों पर अतिरिक्त काम का भारी बोझ है और वे अपनी क्षमता से अधिक कार्य कर रहे हैं, जिसका उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

 लंबित मामले: न्यायाधीशों की कमी के कारण, दैनिक वाद सूचियां (cause lists) बहुत लंबी हो जाती हैं, जिससे मामलों की सुनवाई पूरी नहीं हो पाती है। कई महत्वपूर्ण और आवश्यक मामले भी सुनवाई के लिए नहीं आ पाते हैं, जिससे “सुलभ न्याय की अवधारणा विपरीत रूप से प्रभावित हो रही है।”

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वादकारियों की पीड़ा: सुनवाई न होने के कारण दूर-दराज से आने वाले वादकारियों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। पत्र में कहा गया है कि, “इस प्रकार शासन और विधि के मंशा के अनुरूप वादकारियों को समय से न्याय नहीं मिल पा रहा है।”

विशिष्ट मांग: इन समस्याओं को देखते हुए, एसोसिएशन ने पुरजोर मांग की है कि “वर्ष 2025 में उच्च न्यायालय में नियुक्त किए गए 39 माननीय न्यायाधीशों में से कम से कम 15 माननीय न्यायाधीशों को वादकारियों की सुनवाई हेतु माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ में बैठाया जाना नितांत आवश्यक है।”

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न्यायपालिका से अपेक्षा

एसोसिएशन का मानना है कि यदि लखनऊ बेंच को 15 नए न्यायाधीश आवंटित किए जाते हैं, तो इससे न केवल मौजूदा न्यायाधीशों का कार्यभार कम होगा, बल्कि लंबित मामलों के निपटारे में भी तेजी आएगी। इससे वादकारियों को समयबद्ध तरीके से न्याय मिल सकेगा और न्याय प्रणाली में उनका विश्वास और मजबूत होगा। बार एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि वे इस गंभीर और विचारणीय विषय पर ध्यान देते हुए लखनऊ बेंच में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की कृपा करें, ताकि न्याय का उचित संचालन सुनिश्चित हो सके।

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